चंडीगढ़, 7 मई (Udaipur Kiran) । भाखड़ा के पानी को लेकर पंजाब व हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद के बीच पंजाब-हरियाणा
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में पंजाब सरकार को हिदायत दी है कि वह भाखड़ ब्यास प्रबंध बाेर्ड (बीबीएमबी) के काम में किसी प्रकार का दखल न दे। हाई कोर्ट ने 2 मई की बैठक के फैसले के अनुसार हरियाणा को अतिरिक्त 4500 क्यूसेक पानी देने के लिए बीबीएमबी को कहा है।
चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने तीन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद बुधवार को उक्त निर्देश दिया है। पंजाब-हरियाणा जल विवाद को लेकर हाई कोर्ट में तीन याचिकाएं डाली गई हैं। पहली दो याचिकाएं बीते शनिवार को दायर की गईं। जिसमें एक याचिका एडवोकेट रविंद्र ढुल ने दायर की तो दूसरी याचिका फतेहाबाद के गांव मटाना की पंचायत ने दायर की है। इसके अलावा एक याचिका बीबीएमबी की तरफ से पंजाब सरकार के विरूद्ध हाई कोर्ट में दायर की गई थी।
इन याचिकाओं में पंजाब पुलिस को भाखड़ा डैम से हटाने तथा हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी दिए जाने की मांग की गई थी।
हाई कोर्ट ने भाखड़ा नंगल बांध और लोहंड कंट्रोल रूम के संचालन को लेकर पंजाब सरकार के कथित हस्तक्षेप पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य सरकारें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। हाई कोर्ट में मंगलवार को इस संबंध में सभी पक्षों ने अपने तर्क रखे। सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने पंजाब राज्य के कथित आचरण पर आपत्ति जताई और कहा कि हम अपने दुश्मन देश के साथ ऐसा कर रहे हैं। हमें अपने राज्यों के भीतर ऐसा नहीं करना चाहिए।
जिसके बाद चीफ जस्टिस ने रात को ही फैसला सुनाने की बात कही। आज अपने विस्तृत फैसले में हाई कोर्ट ने पंजाब को निर्देश दिया कि वह बीबीएमबी के कार्य में हस्तक्षेप से परहेज़ करे और केवल सुरक्षा व्यवस्था तक सीमित रहे। काेर्ट ने स्पष्ट किया कि बांध की सुरक्षा के नाम पर उसके संचालन में बाधा डालना स्वीकार्य नहीं है।
हाई कोर्ट ने पंजाब को यह भी आदेश दिया गया कि वह भारत सरकार के गृह सचिव की अध्यक्षता में 2 मई को हुई बैठक के निर्णय का पालन करे, जिसमें हरियाणा के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोडऩे का फैसला हुआ था। फैसले में काेर्ट ने स्पष्ट किया कि बीबीएमबी एक केंद्रीय निकाय है और उसका नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन है। किसी भी असहमति की स्थिति में राज्य सरकार को केंद्र के माध्यम से ही आपत्ति दर्ज करनी चाहिए, न कि सीधे हस्तक्षेप करना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) शर्मा
