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हाई काेर्ट ने लेकब्रिज चुंगी वसूली, कार पार्किंग शुल्क वसूली के संबंध में विस्तृत प्लान पेश करने के दिए निर्देश

नैनीताल हाईकोर्ट।

नैनीताल, 1 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने नैनीताल नगरपालिका की ओर से लेकब्रिज चुंगी, डीएसए कार पार्किंग, मेट्रोपोल कार पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ दायर चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इस संबंध में एक विस्तृत प्लान पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 अप्रैल की ति​थि नियत की है।

सुनवाई के दौरान नगरपालिका की ओर से हाई काेर्ट काे बताया गया कि पालिका ने सभी टेंडर निरस्त कर दिए हैं। पालिका अब लेकब्रिज चुंगी का टैक्स पांच सौ रुपया प्रति वाहन करने व बारापत्थर में भी चुंगी वसूली करने पर विचार कर रही है। फिलहाल 1 अप्रैल से नगरपालिका लेकब्रिज चुंगी, डीएसए व अन्य पार्किंगों का किराया स्वयं वसूल रही है। हाई कोर्ट ने लेकब्रिज चुंगी में लगने वाले जाम से बचने के लिए नगरपालिका से इलेक्ट्रॉनिक फास्टैग सिस्टम के उपयोग पर भी विचार करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश जी नरेन्द्र ने कहा कि वे स्वयं एक दिन लेकब्रिज चुंगी, कार पार्किंग व नैनीताल के यातायात सिस्टम का जायजा लेंगे। हाई कोर्ट को शिकायत मिली है कि सड़कों के चौड़ीकरण के बाद उन्हें पार्किंग बनाया जा रहा है। हाई कोर्ट ने इन याचिकाओं को पूर्व में प्रो.अजय रावत द्वारा हल्द्वानी रोड में बन रहे पेट्रोल पंप के खिलाफ दायर जनहित याचिका के साथ सम्बद्ध कर दिया है। साथ ही तल्लीताल स्थित हैरीटेज पोस्ट ऑफिस को ध्वस्त करने के खिलाफ प्रो.उमा भट्ट की जनहित याचिका की सुनवाई की तिथि भी 3 अप्रैल तय की है। कोर्ट ने नगरपालिका को लेकब्रिज चुंगी वसूली, कार पार्किंग शुल्क वसूली के संबंध में विस्तृत प्लान पेश करने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि नैनीताल में ट्रैफिक कम करने के लिए रानीबाग से नैनीताल तक रोपवे बनाए जाने की योजना है। कोर्ट अब इस मामले में भी सुनवाई कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

उल्लेखनीय है कि नैनीताल लेकब्रिज चुंगी का टेंडर नैनीताल के उमेश मिश्रा के नाम 2.88 करोड़ रुपये में हुआ था। जिसे दीवान सिंह फर्त्याल ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि नगरपालिका ने टेंडर की शर्तों में जान बूझकर ऐसी शर्त रखी है ताकि वे टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा न ले सकें। इस शर्त के अनुसार लेकब्रिज चुंगी के टेंडर में वही व्यक्ति हिस्सा ले सकता था, जिसको चुंगी वसूलने का पिछले छह सालों में एक साल का अनुभव हो। जबकि पिछले साल इस अनुभव की सीमा पांच साल रखी थी। याचिकाकर्ता के अनुसार उसने सात साल पहले लेकब्रिज चुंगी का काम किया था और उसे इस टेंडर प्रक्रिया शामिल होने से रोकने के लिए यह शर्त रखी थी। इसके अलावा सुमित जेठी व ठाकुर इंटरप्राइजेज ने भी अलग-अलग याचिकाएं दायर कर डीएसए कार पार्किंग व मेट्रोपोल होटल कार पार्किंग के टेंडर प्रक्रिया को चुनौती दी है।

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(Udaipur Kiran) / लता

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