चित्तौड़गढ़, 3 सितंबर (Udaipur Kiran) । जिले के सबसे बड़े श्री सांवलियाजी राजकीय सामान्य चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्साधिकारी का पद हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। पिछले लम्बे समय से इस पद पर डॉ. दिनेश वैष्णव प्रमुख चिकित्साधिकारी के रूप में पदास्थापित थे, लेकिन गत 22 अगस्त काे 16 सीसीए के तहत जांच लम्बित होने का हवाला देते हुए एक आदेश जारी कर उन्हें एपीओ कर उनका मुख्यालय जयपुर कर दिया था। उनके स्थान पर शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. जयसिंह मीणा को पीएमओ के पद पर नियुक्ति दे दी थी। लेकिन इस आदेश को डाॅ. दिनेश वैष्णव ने राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी। 2 सितम्बर को राजस्थान हाईकोर्ट की एकल पीठ ने डॉ. वैष्णव की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के 22 अगस्त को जारी किए आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि इस आदेश के बाद अभी तक डॉ. दिनेश वैष्णव ने सांवलिया चिकित्सालय में ड्यूटी ज्वॉइन नहीं की है लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आगामी दिनों में वह ड्यूटी ज्वॉइन कर सकते हैं। हाईकोर्ट आदेश पर विधि विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार आगामी आदेश तक डॉ. वैष्णव इस पद पर बने रह सकते हैं लेकिन इस पद पर दिए जाने वाले भत्तों जैसे टीए, डीए आदि का भुगतान उन्हें नहीं मिल पाएगा। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई एक अक्टूबर को नियत की है। इस मामले में न्यायालय ने प्रमुख शासन सचिव, मेडिकल डायरेक्टर और पीएमओ को नोटिस जारी किए हैं और राज्य सरकार के 22 अगस्त के आदेश को स्थगित कर दिया है।
महिला चिकित्सक को दो स्थानों से तनख्वाह देने का आरोप
डाॅ. दिनेश वैष्णव का पीएमओ पद का कार्यकाल विवादों से जुड़ा रहा है। एक महिला चिकित्सक को दो स्थानों से तनख्वाह देने के मामले में उनकी जांच लम्बित है तो डॉ. वैष्णव ने पीएमओ पद पर रहते हुए मीडिया पर भी अस्पताल की फोटो और वीडियोग्राफी पर पाबंदी लगाई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि पीएमओ पद में आखिर ऐसा क्या है कि सरकार द्वारा हटाने के बावजूद डॉ. वैष्णव न्यायालय की शरण में पहुंच गए। अब देखना यह है कि वैष्णव इस पद पर ज्वॉइन करके बने रहते हैं या फिर सरकार डाॅ. मीणा को पीएमओ बनाए रखने के लिए कुछ और कदम उठाएगी।
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(Udaipur Kiran) / अखिल