HEADLINES

परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने पर कर्मचारी के सेवा परिलाभ नहीं रोक सकते- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने के आधार पर ही किसी कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की जा सकती और ना उसके सेवा संबंधी परिलाभ रोके जा सकते हैं। वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता के सर्विस रिकार्ड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी को भी रद्द कर दिया है। अदालत ने आयुर्वेद विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक को निर्देश दिया है कि वे तीन महीने में प्रार्थी को चयनित वेतनमान व सभी परिलाभ दें। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश आयुर्वेद विभाग से रिटायर कंपाउंडर कमलेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया।

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता आयुर्वेद विभाग में कंपाउंडर के पद पर था। इस दौरान 1995-96 में परिवार नियोजन का तय लक्ष्य पूरा नहीं करने के चलते विभाग के अफसरों ने उसके सर्विस रिकार्ड में टिप्पणी कर दी। उसने विभाग के अफसरों को प्रतिवेदन भी, लेकिन उन्होंने टिप्पणी बहाल रखी। इसके साथ ही साल 1999 में उसे मिलने वाले चयनित वेतनमान का लाभ भी एक साल के लिए स्थगित कर दिया। हाईकोर्ट में इसे चुनौती देकर कहा कि साल 2004 के परिपत्र में कर्मचारी के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में परिवार नियोजन लक्ष्य में कमी पर प्रतिकूल टिप्पणी करनेऐ पर पाबंदी लगाई गई है। परिवार नियोजन का जो लक्ष्य प्रार्थी को दिया था, उसे पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति का जबरन परिवार नियोजन नहीं कर सकते। कर्मचारी केवल प्रयास ही कर सकता है और लक्ष्य पूरा नहीं करने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकता। ऐसे में उसके खिलाफ सर्विस रिकॉर्ड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी को हटाते हुए उसे परिलाभ दिलाए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि केवल परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर ही कर्मचारी के सेवा परिलाभ नहीं रोक सकते।

—————

(Udaipur Kiran)

HEADLINES

परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने पर कर्मचारी के सेवा परिलाभ नहीं रोक सकते- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने के आधार पर ही किसी कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की जा सकती और ना उसके सेवा संबंधी परिलाभ रोके जा सकते हैं। वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता के सर्विस रिकार्ड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी को भी रद्द कर दिया है। अदालत ने आयुर्वेद विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक को निर्देश दिया है कि वे तीन महीने में प्रार्थी को चयनित वेतनमान व सभी परिलाभ दें। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश आयुर्वेद विभाग से रिटायर कंपाउंडर कमलेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया।

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता आयुर्वेद विभाग में कंपाउंडर के पद पर था। इस दौरान 1995-96 में परिवार नियोजन का तय लक्ष्य पूरा नहीं करने के चलते विभाग के अफसरों ने उसके सर्विस रिकार्ड में टिप्पणी कर दी। उसने विभाग के अफसरों को प्रतिवेदन भी, लेकिन उन्होंने टिप्पणी बहाल रखी। इसके साथ ही साल 1999 में उसे मिलने वाले चयनित वेतनमान का लाभ भी एक साल के लिए स्थगित कर दिया। हाईकोर्ट में इसे चुनौती देकर कहा कि साल 2004 के परिपत्र में कर्मचारी के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में परिवार नियोजन लक्ष्य में कमी पर प्रतिकूल टिप्पणी करनेऐ पर पाबंदी लगाई गई है। परिवार नियोजन का जो लक्ष्य प्रार्थी को दिया था, उसे पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति का जबरन परिवार नियोजन नहीं कर सकते। कर्मचारी केवल प्रयास ही कर सकता है और लक्ष्य पूरा नहीं करने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकता। ऐसे में उसके खिलाफ सर्विस रिकॉर्ड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी को हटाते हुए उसे परिलाभ दिलाए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि केवल परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर ही कर्मचारी के सेवा परिलाभ नहीं रोक सकते।

—————

(Udaipur Kiran)

Most Popular

To Top