
–पुलिस के चुनाव ड्यूटी में व्यस्त होने के कारण हत्यारोपी का इलाज़ न कराने पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार –हर नागरिक के जीवन की रक्षा के लिए लिए सरकार बाध्य
प्रयागराज, 25 फरवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस बल की चुनाव या किसी दूसरे काम में व्यस्तता के कारण जेल में निरुद्ध बंदी का इलाज कराने से मना नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी सरकार की निगरानी में हिरासत में है। राज्य किसी भी आधार पर उसे पर्याप्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करने से इनकार नहीं कर सकता।
देवरिया के कयामुद्दीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी न्यायमूर्ति समित गोपाल ने की। कोर्ट ने राज्य सरकार से दस दिन में कैदी के इलाज व ट्रायल कोर्ट में पेशी की सम्भावना पर रिपोर्ट मांगी है।
मामले के अनुसार अप्रैल 2024 में एडिशनल सेशन जज ने देवरिया जिला जेल के जेल अधीक्षक को याची कयामुद्दीन का इलाज कराने का निर्देश दिया था। जेल अधीक्षक ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण पुलिस बल की कमी का हवाला देते हुए इलाज उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यक बल उपलब्ध होने पर याची के इलाज की व्यवस्था की जाएगी। सितम्बर 2024 में उसकी दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक के इस कृत्य को पूरी तरह अस्वीकार्य और अनुचित करार दिया।
हाईकोर्ट ने डीएम देवरिया और पुलिस अधीक्षक, देवरिया को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने और अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। दोनों अधिकारियों ने अदालत को बताया कि याची का इलाज जिला जेल में चल रहा है। बेहतर देखभाल के लिए उसे जिला अस्पताल, स्थानीय मेडिकल कॉलेज और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया।
कोर्ट ने कहा कि यह स्वीकृत तथ्य है कि पुलिस बल की अनुपलब्धता के कारण याची को कुल तीन बार सम्बंधित डॉक्टर के समक्ष पेश नहीं किया गया। क्योंकि पुलिस चुनाव में लगी थी। इसकी सराहना नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का जीवन भले ही वह जेल में हो हर नागरिक के जीवन की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार बाध्य है। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्षेत्र या राज्य के भीतर किसी भी गतिविधि के बावजूद जेल के कैदियों को समय पर और उचित उपचार उपलब्ध हो।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
