जोधपुर, 22 नवम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने झुंझुनूं जिले में एक मानसिक विमंदित युवक के मृत घोषित करने के बाद वापस जिंदा होने के प्रकरण में स्व प्रसंज्ञान लिया है। साथ ही इस मामले में नोटिस जारी कर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर के प्रमुख सचिव और झुंझुनूं के जिला कलेक्टर व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष एवं न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग ने इस मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि यह घटना जीवन के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। यह प्रकरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकारी अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण एक व्यक्ति का जीवन संकट में पड़ गया। उन्होंने इस मामले की सुनवाई के लिए अनिरुद्ध पुरोहित को न्याय मित्र के रूप में नियुक्त किया है। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने इस मामले को सार्वजनिक हित से जुड़ा मामला मानते हुए इसे जनहित याचिकाओं की सुनवाई करने वाली खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।
यह है मामला :
दरअसल झुंझुनूं में श्मशान घाट में चिता पर लेटा एक व्यक्ति जिंदा हो गया था। झुंझुनूं जिले के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल भगवान दास खेतान में गुरुवार दोपहर को एक मूक बधिर युवक रोहिताश को इलाज के लिए लाया गया था लेकिन डॉक्टर्स ने उसे कुछ मिनटों में मृत घोषित कर दिया। इसके बाद युवक को मोर्चरी के डीप फ्रीजर में दो घंटे तक रखा गया। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जारी की गई। शाम करीब पांच बजे जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो अचानक उसके शरीर में हलचल हुई और सांस चलने लगी। इसके बाद उसे पहले बीडीके और बाद में जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल ले जाया गया जहां आज सुबह उसकी मौत हो गई। हालांकि मामले में झुंझुनूं के जिला कलेक्टर जिंदा युवक को मृत बताने वाले डॉ. योगेश जाखड़, डॉ. नवनीत मील और पीएमओ डॉ संदीप पचार को सस्पेंड कर दिया है।
(Udaipur Kiran) / सतीश