नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने ओल्ड बारापुला पुल के पास मद्रासी कैंप के निवासियों को हटाने के लिए जारी किए गए नोटिस के खिलाफ राजनेताओं की ओर से विरोध किए जाने पर आपत्ति जताई है। चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जब ये मामला कोर्ट में लंबित है तो राजनेताओं की ओर से विरोध किया जाना ठीक नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि अगर प्रोजेक्ट फेल होता है और यमुना के पानी को बहने नहीं दिया जाएगा तो दिल्ली में बाढ़ आ जाएगी जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। दिल्ली में नाव खरीदने की तैयारी कर लेनी होगी। कोर्ट ने कहा कि राजनेताओं का मकसद केवल चुनाव जीतना होता है और उन्हें शहर के इंफ्रास्ट्रक्टचर को सुधारने में कोई रुचि नहीं होती है। कोर्ट को बताया गया कि दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जंगपुरा के स्लम बस्ती के लोगों को जैसे ही खाली करने का नोटिस मिला आम आदमी पार्टी और बीजेपी वहां विरोध करने चले गए। दोनों पार्टियों ने खाली करने के नोटिस पर एक-दूसरे की आलोचना की।
कोर्ट ने डीडीए और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड को निर्देश दिया कि वे मद्रासी कैंप में रहने वाले लोगों से उनके पुनर्वास पर बात करें। बतादें कि कोर्ट ने 10 सितंबर को मद्रासी कैंप के निवासियों को हटाने की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दिया था।
याचिका जंगपुरा में जेजे क्लस्टर मद्रासी कैंप के निवासियों ने दायर किया था। मद्रासी कैंप के निवासियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें 12 सितंबर को हटाने का नोटिस भेजा गया है। सुनवाई के दौरान डीडीए की ओर से पेश वकील प्रभसहाय कौर ने कहा कि बारापुला नाले पर मद्रासी कैंप का स्थान जल प्रवाह में बाधा डालता है। तब कोर्ट ने कहा कि ये पता लगाने की जरुरत है कि क्या मद्रास कैंप पानी के प्रवाह को बाधित कर रहा है या नहीं जो हाल ही में आई बाढ़ की समस्याओं को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कारक है। अगर मद्रासी कैंप जल प्रवाह को बाधित कर रहा है निश्चित रूप से इसे जाना चाहिए क्योंकि शहर में अनावश्यक रूप से बाढ़ आ रही है। हम शहर को बार-बार बाढ़ की अनुमति नहीं दे सकते हैं। अगर नाले को साफ करना है तो इसे साफ करना होगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मद्रासी कैंप के निवासियों के पुनर्वास और उनके अधिकारों के संरक्षण का भरोसा दिया। कोर्ट ने कहा कि हम ये सुनिश्चित करेंगे कि मद्रासी कैंप के निवासियों को वैकल्पिक भूमि पर शिफ्ट किया जाए। हम अधिकारियों से आपके पुनर्वास के लिए कहेंगे। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग और डीडीए के अधिकारियों को दस दिनों के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा