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हाई कोर्ट ने नगर निगम के पांच स्कूलों की खराब हालत पर शिक्षा निदेशक से मांगी रिपोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि वो नगर निगम की ओर से संचालित उन पांच स्कूलों का दौरा कर उनकी खराब हालत पर रिपोर्ट दाखिल करें। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रिपोर्ट में उन स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी होनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मिलने वाली सुविधाएं जैसे यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि नहीं मिल रही है। याचिका में कहा गया है कि राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, दिल्ली राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी रूल्स और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षण सत्र के शुरू में ही उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि सुविधाएं मिल जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले 2,69,488 छात्र और दिल्ली नगर निगम में पढ़ने वाले 3,83,203 छात्र शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मिलने वाले वैधानिक सुविधाओं से वंचित हैं।

दरअसल, हाई कोर्ट में एनजीओ सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल की रिपोर्ट में कहा गया कि स्कूलों में डेस्क-कुर्सियां टूटी मिली और शिक्षकों की कमी है। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि 15 अगस्त तक छात्रों को यूनिफॉर्म, डेस्क और कुर्सियां उपलब्ध करायी जाए।रिपोर्ट में मंगोलपुरी, कोंडली, कल्याणपुरी, कड़कड़डूमा और खजूरी चौक स्थित नगर निगम के स्कूलों की खराब हालत का जिक्र किया गया था। अशोक अग्रवाल की रिपोर्ट में कहा गया था कि एक स्कूल में क्लासरूम टीनशेड का था। नगर निगम के कम से कम 17 स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षकों की संख्या क्लासरूम से कम है। रिपोर्ट के मुताबिक फर्नीचर की खरीद के लिए फंड आवंटित नहीं किए जा रहे हैं क्योंकि दिल्ली नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं किया गया है। दिल्ली नगर निगम में पढ़ने वाले 1 लाख 37 हजार छात्र ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक स्कूल यूनिफॉर्म नहीं मिला है।

सुनवाई के दौरान 23 अप्रैल को हाई कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले करीब दो लाख बच्चों का बैंक खाता नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और स्टेशनरी खरीदने के लिए राशि का भी भुगतान नहीं किया गया है।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) पाश / सुनीत निगम

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