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हाइकोर्ट ने अरपा नदी को लेकर जताई चिंता, सचिव से मांगा शपथपत्र 

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट

बिलासपुर, 12 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । अरपा नदी में प्रदूषण को रोकने और संरक्षण को लेकर लगाई गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा ने प्रदेश सरकार को कड़ी हिदायत दी है। अरपा नदी में प्रदूषण को रोकने, संरक्षण और संवर्धन को लेकर लगी याचिकाओं पर बुधवार को एक साथ सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नदी में अवैध उत्खनन को लेकर नाराजगी जताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने यहां तक कहा कि इन लोगों के ऊपर मीसा की कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा अरपा में घास उग आई है, लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। वहीं अवैध उत्खनन से नदी खोखली हो गई है। बैरल लैंड है, पानी तो है नहीं, बाढ़ में पानी आता है। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि आप कोई भी कानून बनाइये, वे अपनी ताकत दिखाने के लिए उसे तोड़ देंगे और आप दर्शक बने रहेंगे।

वहीं सुनवाई के दौरान पूरे मामले में राज्य सरकार और नगर निगम की तरफ से अधिवक्ता आरएस मरहास ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आज बुधवार काे आयुक्त की तरफ से शपथपत्र दाखिल दिया गया है। जिसमें बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड केवल 60 प्रतिशत सीवरेज जल का उपचार करने की स्थिति में होगा। शेष 40 प्रतिशत के लिए, सलाहकार अर्थात ब्लू स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड पुणे से परियोजना रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई है। जो डीपीआर के सत्यापन के लिए मुख्य अभियंता पीएचई विभाग से तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई थी। जो अप्रूव्ड नहीं की गई है। वहीं कंपनी से रिवाइज प्लान 10 फरवरी को मिल गया है। जिसकी जांच करने 15 दिन का समय लगेगा। रिवाइज्ड प्लान सही होने पर प्रशासनिक मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

हाई कोर्ट ने 15 दिन का समय देते हुए बिलासपुर नगर निगम आयुक्त से शपथ पत्र में जवाब मांगा है। वहीं बिलासपुर में 12 जनवरी को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए जिला मजिस्ट्रेट, रायपुर को समाचार की प्रामाणिकता के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। जिसपर पर शपथपत्र के माध्यम से कलेक्टर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जवाब पेश किया है। जिसमें साल 2022-23 से 2023-24 और 2025 तक का आंकड़ा दिया। अवैध उत्खनन और परिवहन के मामले 2025 तक लगातार बढ़ रहे हैं, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। वहीं अपने आदेश में कहा खनिजों के अवैध परिवहन और अवैध गतिविधियों में शामिल संबंधित व्यक्तियों पर जुर्माना लगाया गया है और उनके खिलाफ अपराध भी किए गए हैं और उन्हें दंडित भी किया गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि समय आ गया है कि राज्य को अपनी आंखें खोलनी होंगी और अभियोजन के लिए सख्त कानून लाना होगा। वहीं राज्य के खनिज विभाग के सचिव को निर्देश देते हुए कहा यदि ऐसी कोई घटना सामने आती है तो न्यायालय दोषी अधिकारियों के साथ-साथ संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा। वहीं व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को रखी गई है।

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(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi

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