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हाईकोर्ट ने मुरादाबाद में अतिक्रमण हटाने के मामले में मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-नगर निगम व लोक निर्माण विभाग ने कहा, जमीन व कार्रवाई उनकी नहीं

-हाईकोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया

प्रयागराज, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण अभियान के खिलाफ दाखिल याचिका पर जवाबी हलफनामा मांगा है।यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राम औतार की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने यह आदेश नगर निगम की ओर से यह बताए जाने पर दिया कि जमीन निगम की नहीं, लोक निर्माण विभाग की है। उसी ने चिन्हांकन किया है।

कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता से पूछा तो बताया गया कि जमीन उनके विभाग की भी नहीं है और न ही पीडब्लूडी ने चिन्हांकन किया है। जमीन सीलिंंग विभाग की है। याचिका के अनुसार नगर निगम की टीम ने मौके की पैमाइश की और याची के मकान का एक फीट 15 सेमी अतिक्रमण का चिन्हांकन कर स्वयं हटाने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने दोनों विभागों के अधिकारियों से तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा मांगा है। अधिवक्ता का कहना था कि याची ने 1984 में गांव में दो दुकान व घर का निर्माण किया। वर्ष 1995-96 में गांव नगर निगम मुरादाबाद के क्षेत्र में शामिल कर लिया गया। इस समय तक किसी ने अतिक्रमण की शिकायत नहीं की। जुलाई 2024 में अधिकारियों की टीम पहुंची और नापजोख शुरू कर दी। घरों में निशान लगाकर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया। अखबार में खबर छपी कि 30 जुलाई से ध्वस्तीकरण अभियान में अतिक्रमण हटाया जाएगा। इस पर यह याचिका की गई।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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