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हाईकोर्ट ने कहा – आरजी‌ कर आरोपितों को सीबीआई चार्जशीट पढ़ने के लिए मिलेगा पर्याप्त समय

कोलकाता, 7 फरवरी (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले के आरोपितों को सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट की विस्तृत समीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। आरोपितों के वकील इस सप्ताहांत तक केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय से चार्जशीट प्राप्त कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति जॉयमाल्‍य बागची की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया कि पांचों आरोपितों के वकील 8 और 9 फरवरी को सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के कार्यालय जाकर चार्जशीट से संबंधित सभी दस्तावेज एकत्र कर सकते हैं।

इस मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को डिवीजन बेंच में होगी। इसी सुनवाई के दौरान कोलकाता की विशेष अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करने की तारीख तय हो सकती है।

डिवीजन बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपितों के वकील निचली अदालत को इस बारे में सूचित करें कि उन्होंने सीबीआई कार्यालय से चार्जशीट प्राप्त कर ली है।

सीबीआई की चार्जशीट में आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष, उनके सहायक और बॉडीगार्ड अफसर अली, निजी ठेकेदार बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा, तथा जूनियर डॉक्टर आशीष पांडे का नाम शामिल है। ये सभी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

इससे पहले, विशेष अदालत ने 6 फरवरी को आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करने की तारीख तय की थी। लेकिन संदीप घोष और अन्य आरोपितों ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस प्रक्रिया को टालने की मांग की।

हालांकि, 31 जनवरी को न्यायमूर्ति तिर्थंकर घोष की एकलपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद आरोपितों के वकीलों ने 5 फरवरी को पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे फिर से खारिज कर दिया गया।

इसके बाद, 6 फरवरी की सुबह आरोपितों के वकील डिवीजन बेंच पहुंचे और सिंगल-बेंच के आदेश को चुनौती दी। डिवीजन बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए आरोपियों को चार्जशीट की समीक्षा के लिए अधिक समय देने का निर्देश दिया।

डिवीजन बेंच ने कहा कि मामले की गंभीरता को कम नहीं किया जा सकता और आरोपितों को अपने खिलाफ लगे आरोपों को समझने के लिए उचित समय मिलना चाहिए। लेकिन अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अतिरिक्त समय देने का मतलब यह नहीं है कि मुकदमे की प्रक्रिया अनावश्यक रूप से लंबी खींची जाएगी।

इसके अलावा, हाईकोर्ट ने संकेत दिया कि यदि आवश्यक हुआ तो वह विशेष अदालत में चल रही ट्रायल प्रक्रिया की निगरानी भी कर सकता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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