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हाईकोर्ट ने एलआईसी को लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

लोक अदालत के 74,508 के अवार्ड को दी थी चुनौती

प्रयागराज, 30 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम को फटकार लगाई है। कारण था कि एलआईसी ने स्थायी लोक अदालत अलीगढ़ द्वारा एक पॉलिसीधारक के पक्ष में पारित 74 हजार 508 रूपए के अवार्ड को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इतनी छोटी राशि के खिलाफ एलआईसी की रिट याचिका दाखिल करना अत्यंत आश्चर्यजनक है। कोर्ट ने एलआईसी के एक सीनियर अधिकारी को यह स्पष्ट करने के लिए शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया कि उक्त अवार्ड की राशि पॉलिसीधारक (प्रतिवादी नंबर-2) को क्यों नहीं दी जानी चाहिए।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि “यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि इतनी तुच्छ राशि के खिलाफ याचिकाकर्ता, बीमा कम्पनी ने वर्तमान रिट याचिका दाखिल की, जबकि इस प्रकार की प्रथा की इस न्यायालय ने समय-समय पर निंदा की गई है।“

खास बात यह रही कि एकल न्यायाधीश ने यह भी नोट किया कि याचिका दायर करने में जो वकील फीस एवं कानूनी खर्च हुआ, वह स्थायी लोक अदालत के दिए गए अवार्ड राशि से अधिक प्रतीत होता है।

मामले के अनुसार स्थायी लोक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एलआईसी को पॉलिसीधारक मेघ श्याम शर्मा को जमा की गई राशि वापस करने के साथ-साथ 7 प्रतिशत ब्याज और 5,000 मुकदमा खर्च के रूप में चुकाने का निर्देश दिया गया था।

यह आदेश उस आवेदन पर पारित हुआ, जिसमें पॉलिसीधारक ने जमा की गई प्रीमियम राशि की वापसी की मांग की थी। पॉलिसीधारक ने एल आई सी से पांच बीमा पॉलिसियां खरीदी थीं, जो बाद में शर्तों के पूरा न होने के कारण निष्क्रिय हो गईं।

चूंकि निष्क्रिय पॉलिसियों पर कोई लाभ देय नहीं था, लोक अदालत ने एल आई सी को जमा राशि वापस करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट में एल आई सी ने तर्क दिया कि प्रतिवादी ने पॉलिसी की सभी शर्तों का पालन नहीं किया था, इसलिए वह किसी भी राशि के हकदार नहीं हैं।

हालांकि इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि प्रतिवादी केवल अपनी जमा राशि की वापसी मांग रहा है और लोक अदालत ने कोई अतिरिक्त या अवैध राहत नहीं दी है। कोर्ट ने एलआईसी को इतनी छोटी राशि के लिए चुनौती देने पर फटकार भी लगाई। इस मामले की अगली सुनवाई अब 7 मई को होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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