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हाईकोर्ट ने एफआईआर में आरोपित की जाति के उल्लेख पर यूपी डीजीपी से किया सवाल

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-हाशिए पर खड़े समुदायों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण व्यवहार का मामला

प्रयागराज, 05 मार्च (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर में आरोपित की जाति के उल्लेख के सम्बंध में चिंता जताते हुए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एफआईआर में जाति सम्बंधी जानकारी शामिल करने और पुलिस जांच के दौरान इसकी प्रासंगिकता को लेकर व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि संस्थागत पूर्वाग्रह, रूढ़िवादिता को मजबूत करने की क्षमता और हाशिए के समुदायों के खिलाफ पूर्वाग्रह पूर्ण व्यवहार के जोखिम को लेकर चिंता बढ़ रही है।

अदालत ने आदेश में कहा है,“पुलिस महानिदेशक को अगली सुनवाई की तारीख से पहले एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। जिसमें जाति-ग्रस्त समाज में एफआईआर में या पुलिस जांच के दौरान किसी संदिग्ध या व्यक्तियों के समूह की जाति का उल्लेख करने की आवश्यकता और प्रासंगिकता को उचित ठहराया जाए, जहां सामाजिक विभाजन कानून प्रवर्तन प्रथाओं और सार्वजनिक धारणा को प्रभावित करते रहते हैं।“

अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि जहां संविधान भारत में जाति आधारित भेदभाव के उन्मूलन की गारंटी देता है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने भी दलीलों में जाति और धर्म का उल्लेख करने की प्रथा की निंदा की है।

इसलिए, न्यायालय ने कहा कि डीजीपी के हलफनामे में यह बताया जाना चाहिए कि क्या जाति का ऐसा उल्लेख किसी कानूनी आवश्यकता को पूरा करता है या अनजाने में प्रणाली गत भेदभाव को बढ़ावा देता है, जो संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले न्यायिक उदाहरणों का खंडन करता है।

अदालत प्रवीण छेत्री द्वारा दायर एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिस पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420, 467, 468 और 471 के साथ आबकारी अधिनियम की धाराओं 60/63 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह मामला इटावा जिले में कथित शराब तस्करी से जुड़ा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आवेदक एक गिरोह का सरगना है जो हरियाणा से शराब लाता है और बिहार में मुनाफे के लिए इसे ऊंचे दामों पर बेचता है और परिवहन के दौरान अपने वाहनों की नंबर प्लेटें बार-बार बदलता रहता है।

एफआईआर का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने पाया कि पुलिस ने आवेदक समेत कुछ लोगों को मौके पर ही पकड़ लिया और बाद में गिरफ्तार कर लिया, तथा सभी आरोपियों की जाति का उल्लेख एफआईआर में किया गया है। जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश के डीजीपी से हलफनामा मांगा गया है। अब इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को नये सिरे से होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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