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विदेशी नागरिकों से जुड़े आपराधिक मामलों के निस्तारण के लिए अंतरराष्ट्रीय ढांचे की जरूरत : हाईकोर्ट

Allaabad High Court

-फर्जी पासपोर्ट, बीजा, आधार कार्ड के साथ गिरफ्तार चीनी नागरिक को जमानत देने से इंकार, अर्जी खारिज

प्रयागराज, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पासपोर्ट, बीजा, आधार कार्ड बनाने में फर्जीवाड़ा व धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार चीनी नागरिक रेयान उर्फ रेन चाओ की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। गौतमबुद्धनगर, नोएडा के बीटा-टू थाने में चीनी नागरिकों व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

कोर्ट ने भारत सरकार सहित दुनिया के अन्य देशों को सुझाव दिया है कि वह विदेशी नागरिकों से जुड़े आपराधिक व कानूनी मुद्दों के निस्तारण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढांचे का निर्माण करे, जिससे कि ऐसे मामलों का निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायपूर्ण समाधान हो सके। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने रेयान उर्फ रेन चाओ की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि विदेशी नागरिकों के आपराधिक मुकदमों जैसे कानूनी मुद्दे, हालांकि एक देश के घरेलू क्षेत्राधिकार में उत्पन्न होते हैं। लेकिन उनका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव होता है। एक देश की घरेलू अदालतों में आपराधिक मुकदमों की कार्यवाही दूसरे देश की कानूनी प्रणाली और सरकार से जुड़ सकती है। ऐसे मुद्दों से निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायपूर्ण तरीके से निपटने के लिए राष्ट्रों के समुदाय के बीच आम सहमति से बनाए गए कानूनों के एक अंतरराष्ट्रीय ढांचे की आवश्यकता है। फिलहाल ऐसा कोई ढांचा इस न्यायालय के संज्ञान में नहीं है। हालांकि, यह एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान भारत सरकार और राष्ट्रों के समुदाय के अन्य सदस्यों को करना होगा। कोर्ट ने अपने आदेश में आरोपी को उसके आदेश का चीनी अनुवाद उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। साथ ही ट्रायल कोर्ट को ट्रायल में तेजी लाने का निर्देश दिया है।

मामले में याची पर आरोप है कि वोटर कार्ड, आधार कार्ड जैसे झूठे आईडी प्राप्त कर अवैध रूप से देश में प्रवेश किए और जू-फेई-कोई के साथ मिलकर देश के कई हिस्सों का यात्राएं की। हालांकि, याची का नाम प्राथमिकी में दर्ज नहीं था। जांच में उसका नाम सामने आया। याची की एक बार जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है।

याची की ओर से कहा गया कि उसके पास से कोई भी आपत्तिजनक वस्तु बरामद नहीं हुई है। सह-अभियुक्त की निशानदेही पर फैक्ट्री परिसर से आवेदक के नाम से बरामद किए गए आवेदक के नाम के स्टाम्प पैड का इस्तेमाल किसी धोखाधड़ी वाले लेनदेन के लिए नहीं किया गया था। आवेदक से बरामद किए गए यात्रा टिकट आवेदक को किसी अपराध से नहीं जोड़ते हैं। जबकि, प्रतिवादी की ओर से जवाब दिया गया कि याची की अवैध गतिविधियों का पता न चले, एक कर्मचारी के रूप में झूठा दिखावा करने की कोशिश की गई। याची एक बड़े आपराधिक संगठन और एक अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क एचटीजेडएन का हिस्सा है, जो भारत में गम्भीर प्रकृति के अपराध करता रहा है।

इस संगठन के व्यवसाय का कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है और यह अन्य फर्जी कम्पनियों से जुड़ा हुआ है। कम्पनी से जुड़े लोगों के बयान, बरामद वस्तुएं, सीडीआर, दस्तावेजी साक्ष्य और धोखाधड़ी वाले लेनदेन जैसे विभिन्न सबूत स्पष्ट रूप से याची के अपराध की ओर इशारा करते हैं। याची कम्पनी के कर्मचारी के रूप में भारत में आया, जिसने बिना किसी की अनुमति के एचटीजेडएन के लिए काम करना शुरू कर दिया। वह अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रहा। उसने भारतीय कानूनों का सम्मान नहीं किया। जमानत दिया गया तो प्रत्यर्पण या अदालत में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित की कोई सम्भावना नहीं है। कोर्ट ने अपने आदेश में विदेशी नागरिकों के अधिकार को भी स्पष्ट रूप से वर्णित करते हुए पाया कि याची फिलहाल जमानत पाने का हकदार नहीं है।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / राजेश

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