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गैंग चार्ट बनाते समय सक्षम प्राधिकारी का स्वतंत्र विवेक से अपनी संतुष्टि दर्ज करना अनिवार्य : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट

–बिना संतुष्टि दर्ज किए प्रिंटेड प्रोफार्मा पर जारी गैंग चार्ट पर गैंगस्टर एक्ट की दर्ज एफआईआर रद्द

–नियमानुसार गैंग चार्ट बनाने की छूट

प्रयागराज, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गैंग चार्ट तैयार करते समय नियमानुसार सक्षम प्राधिकारी की संतुष्टि दर्ज करना जरूरी है। बिना संतुष्टि दर्ज किए प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर कर बने गैंग चार्ट के आधार पर गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर विधि विरुद्ध होगी।

कोर्ट ने कानपुर नगर के गुजैनी थाने में व्यवसायी सुमित अवस्थी व दो अन्य के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में 30 अक्टूबर 23 को दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है और नियमानुसार गैंग चार्ट बनाने की छूट दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिड़ला तथा न्यायमूर्ति ए के सिंह देशवाल की खंडपीठ ने कानपुर के व्यवसाई सुमित अवस्थी की याचिका पर दिया है।

इनका कहना था कि गैंगस्टर एक्ट के तहत बने रुल्स 16 व 17 के तहत जिलाधिकारी की संतुष्टि दर्ज किया जाना जरूरी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सन्नी मिश्र केस के फैसले व 21 जनवरी 24 को जारी सरकारी परिपत्र का हवाला दिया। कहा प्रिंटेड प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर कर गैंग चार्ट तैयार किया गया है। विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसलिए एफआईआर रद्द की जाय।

सरकारी वकील ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी से गैंग चार्ट अनुमोदित है। हालांकि जिलाधिकारी ने संतुष्टि दर्ज नहीं की है। कोर्ट ने कहा रूल्स 17(2) के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतंत्र विवेक का इस्तेमाल कर संतुष्टि दर्ज करना अनिवार्य है। प्रिंटेड प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर कर गैंग चार्ट की मंजूरी नियमों का उल्लंघन है। जिसके आधार पर दर्ज एफआईआर रद्द किए जाने योग्य है।

कोर्ट ने कहा सक्षम प्राधिकारी का कर्तव्य है कि अनुमोदित करने से पहले वह यह देखे कि गैंग चार्ट तैयार करने में नियमों का पालन किया गया है या नहीं। डीजीपी के 19 जनवरी 24 व मुख्य सचिव के 21 जनवरी 24 व सुप्रीम कोर्ट के सन्नी मिश्र केस के निर्देश का पालन नहीं किया गया है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / विद्याकांत मिश्र

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