Madhya Pradesh

जबलपुर : जमीन मुआवजे में सरकार की उदासीनता पर हाईकोर्ट ने लगाया 30 हजार का जुर्माना

जमीन के गलत मुआवजे को लेकर हाईकोर्ट ने कलेक्टर को लगाई फटकार

जबलपुर, 31 जनवरी (Udaipur Kiran) । नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी जनहित याचिका पर मुआवजा से संबंधित मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत एवं जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुये सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। राज्य सरकार को बार बार मौका देने के बावजूद जवाब पेश नहीं करने पर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल के मुताबिक नए भू-अर्जन कानून, 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में एक गुणांक जो कि एक से दो के बीच होगा से गुणा किया जाएगा। शहरी क्षेत्र से जितनी दूरी अधिक होगी,उतना ही यह गुणांक बढ़ जाएगा। पूरा मामला आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है।

सरकार की उदासीनता इसी बात से समझी जा सकती है कि हाईकोर्ट से बार बार इस संबंध में सरकार को जवाब पेश करने के मौके दिये गये,लेकिन राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता वकील ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा रहा, ताकि उन्हें ग्रामीणों को कम मुआवजा देना पड़े। इस प्रकार गरीब ग्रामीणों आदिवासियों का बहुत नुकसान हो रहा है। यदि सरकार जवाब नहीं दे रही है तो राज्य में संपूर्ण भू-अर्जन पर रोक लगाने की मांग माननीय कोर्ट से की है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के इस घोर लापरवाह रवैये पर एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत एवं जस्टिस विवेक जैन ने कड़ी फटकार लगाई, जिस पर राज्य सरकार की ओर से एक और अंतिम अवसर मांगा गया। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार का जवाब तभी स्वीकार होगा,जब वह जनहित याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन को 15 हजार रुपए और हाई कोर्ट विधि सेवा समिति को 15 हजार रुपए 2 सप्ताह में बतौर जुर्माने के रूप में भुगतान करे। इस भुगतान की रसीद प्राप्त होने पर ही सरकार का जवाब आगामी सुनवाई 17 फरवरी को स्वीकार किया जाएगा। जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई 17 फरवरी तय की गई है।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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