HEADLINES

हाई कोर्ट ने गैर-राजनीतिक मामलों में राज्य के वकीलों की अनुपस्थिति पर जताई गंभीर आपत्ति

Court

कोलकाता, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार के वकीलों की अनुपस्थिति पर गहरी चिंता जताई, खासकर जब मामले राजनीतिक रूप से संवेदनशील नहीं होते हैं। अदालत ने राज्य के वकीलों की अनुपस्थिति पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और इस पर सवाल उठाए कि सरकार किस प्रक्रिया के तहत मामलों को अपने वकीलों को सौंपती है।

सुंदरबन में बाघ के हमले के पीड़ितों की दुर्दशा को लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम ने राज्य की ओर से वकीलों की अनुपस्थिति पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि जब तक मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील नहीं होता, तब तक सरकार के वकील समय पर अदालत में हाजिर नहीं होते हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने इस स्थिति को बहुत ही दुखद बताया और कहा कि हर मामले में राज्य के प्रतिनिधित्व के बारे में पूछताछ करना परेशानी का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा मामलों का उचित आवंटन किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश की बेंच में शामिल न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य ने भी इस स्थिति पर गहरा अफसोस जताया और कहा कि कोर्ट नंबर-1 (मुख्य न्यायाधीश की अदालत) में अगर यह स्थिति है, तो अन्य अदालतों का क्या हाल होगा।

कोर्ट ने बताया कि इस मामले में पहले ही नौ मई को आदेश पारित किया जा चुका था, लेकिन इसके बावजूद राज्य की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को निर्धारित की गई है।

हालांकि, राज्य सरकार की ओर से उपस्थित वकील मोहम्मद ग़ालिब, जो कि इस याचिका से जुड़े नहीं थे, ने राज्य की ओर से बिना शर्त माफी मांगी और सरकार के वकील कार्यालय को सूचित करने का आश्वासन दिया कि उचित कदम उठाए जाएं।

अदालत ने कहा कि याचिका में नौ मई को याचिकाकर्ता को राज्य के सरकारी वकील के कार्यालय में नोटिस भेजने का निर्देश दिया गया था ताकि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए राज्य की ओर से एक वकील अदालत में उपस्थित होकर अपनी बात रख सकें।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

Most Popular

To Top