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जोधपुर, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जोधपुर एम्स परिसर से 16 साल से हाईटेंशन लाइन हटाने में देरी को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इसके कारण 54,358 वर्ग मीटर के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण में देरी हो रही है। कोर्ट ने कहा- क्यों न इस मामले में सरकार पर 50 करोड़ का जुर्माना लगाया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाए। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यह गंभीर मुद्दा है, लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। यह उनके सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख छह फरवरी तय करते हुए इससे पहले राज्य सरकार को एफेडेविट पेश करने का अंतिम अवसर दिया है। इसके साथ ही अपने आदेश को हाईकोर्ट ने संस्कृत के श्लोक से शुरू किया। जिसका अर्थ है- स्वस्थ्य व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग को शमन करना। संकट के समय नियंत्रण और शांति स्थापित करना, यही समृद्ध राष्ट्र का पैमाना है।
एम्स की बुनियादी ढांचें और अन्य असुविधाओं को लेकर दायर याचिका चंद्रशेखर बनाम राज्य सरकार मामले में हाईकोर्ट जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी व जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने कहा कि यह मामला आपराधिक लापरवाही का है लेकिन कोर्ट किसी निर्णय पर पहुंचे उससे पहले सरकार को अगली तारीख से पहले एफिडेविट पेश करने का अंतिम अवसर दिया जाता है। साथ ही नौ महीने के भीतर हाईटेंशन लाइनों को हटाना होगा। इसे लेकर राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया कि इन मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जिसमें निविदाएं जारी करना और हाई-टेंशन लाइनों को स्थानांतरित करने के लिए कार्यक्रम तैयार किया गया है। समय समय पर मीटिंग हो रही है। यह भी तर्क दिया गया कि केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (सीएजेडआरआई) के स्थानांतरण या एचपीसीएल परिसर और ट्रांसपोर्ट नगर जैसी अन्य सुविधाओं के उपयोग के लिए, राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच विचार-विमर्श और सहयोग की आवश्यकता है।
कोर्ट ने दिए यह आदेश
अगली तारीख देते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में हाई-टेंशन लाइनों को शिफ्ट करने में 16 साल की देरी पर आश्चर्य व्यक्त किया। लापरवाही के लिए राजस्थान राज्य पर 50 करोड़ का जुर्माना लगाने पर विचार किया। हालांकि, राज्य को देरी के बारे में स्पष्टीकरण देने और तत्काल कार्रवाई का प्रस्ताव देने के लिए एफिडेविट दाखिल करने का एक अंतिम अवसर दिया गया है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि एम्स जोधपुर में जल प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए जिला कलेक्टर और राज्य प्राधिकारियों द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। कृषि मंत्रालय और राज्य को काजरी को स्थानांतरित करने और इसके रिसर्च के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए सहयोग करना चाहिए। साथ ही इसकी वर्तमान भूमि का कुछ भाग एम्स को आवंटित करना चाहिए। एम्स को भूमि हस्तांतरित करने पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान ये रहे मौजूद
सुनवाई के दौरान कोर्ट में जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल, काजरी के कानूनी सहायक प्रशासन अधिकारी बीएस खिंची, पंकज सक्सेना, एसई एम्स मनुमनीष गुप्ता, उप निदेशक (प्रशासन), एम्स, चंद्रेश पारीक, पूर्व. इंजीनियर (सिविल), एम्स, गौरव शर्मा, एईएन (सिविल) सीपीडब्ल्यूडी, (एम्स) मौजूद रहे। हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि लोगों को बुनियादी मेडिकल सुविधाओं तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है। उन्हें 1-2 महीने से अधिक की प्रतीक्षा अवधि के साथ कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। जो उनके सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
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