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केवल वयस्क होने के आधार पर बेटे का भरण-पोषण भत्ता आदेश रद्द नहीं कर सकते-हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 1 अगस्त (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट ने पढाई कर रहे वयस्क बेटे से जुडे मामले में कहा है कि केवल वयस्क होने के आधार पर ही बेटे को भरण-पोषण भत्ता देने वाले आदेश को रद्द नहीं किया जा सकता। प्रार्थी पिता ने भी यह माना है कि जब घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भरण-पोषण भत्ते के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया गया था तो उसके बेटे की पढाई जारी थी और वह बीए डिग्री कोर्स कर रहा था। ऐसे में एडीजे कोर्ट के आदेश में किसी भी तरह का दखल देने की जरूरत नहीं है। जस्टिस प्रवीर भटनागर ने यह आदेश पिता व अन्य की आराधिक याचिका को खारिज करते हुए दिए।

याचिका में जयपुर मेट्रो-प्रथम की एडीजे कोर्ट के 29 अगस्त 2022 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें कहा था कि यदि वयस्क बेटा कोई आय अर्जित नहीं की कर रहा है और उसकी पढाई जारी है तो केवल वयस्क होने के चलते पिता भरण-पोषण राशि देने से मना नहीं कर सकते। मामले से जुडे अधिवक्ता ने बताया कि एडीजे कोर्ट ने पिता की अपील को खारिज करते हुए निचली कोर्ट के उस आदेश को बहाल रखा था, जिसमें निचली अदालत ने पत्नी व बेटे को मासिक भरण पोषण देने को कहा था। अपीलार्थी पिता ने अपनी पत्नी व बेटे को हर महीने दी जा रही भरण-पोषण राशि को देने में असमर्थता बताई थी। इसके साथ ही कहा था कि उसका बेटा वयस्क हो गया है और अब वह उसके भरण-पोषण दायित्व से मुक्त हो गया है, लेकिन एडीजे कोर्ट से उसे कोई राहत नहीं मिली। जिस पर उसने हाईकोर्ट में अपील की थी।

(Udaipur Kiran)

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