जयपुर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुकंपा पर नियमित वेतनमान पर दी गई नियुक्ति को बाद में फिक्स वेतन पर करने के शिक्षा विभाग के 10 मई, 2006 को जारी आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को स्वतंत्रता दी है कि वह याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका देते हुए तीन माह में नया आदेश जारी करे। अदालत ने स्पष्ट किया है कि नया आदेश जारी करने तक वसूली की कार्रवाई प्रभावी नहीं रहेगी। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश अनूप सिंह डागुर की याचिका का निस्तारण करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 27 फरवरी, 2006 को अनुकंपा के तहत नियमित वेतनमान पर शिक्षा विभाग में एलडीसी पद पर नियुक्त किया गया था। जहां उसने कार्यग्रहण कर दो माह तक नियमित वेतनमान भी प्राप्त किया। वहीं विभाग ने अचानक 10 मई, 2006 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को नियमित वेतनमान के स्थान पर दो साल तक परिवीक्षा पर रखने और इस दौरान फिक्स वेतन देना तय किया। इसके अलावा याचिकाकर्ता को बीते महिनों में दिए नियमित वेतनमान की रिकवरी भी निकाल दी। याचिकाकर्ता में कहा गया कि उसकी अनुकंपा नियुक्ति नियम, 1996 के तहत नियुक्ति हुई है। इन नियमों में फिक्स वेतन देने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा एक बाद नियमित वेतनमान पर नियुक्ति देने के बाद उसे फिक्स वेतन में नहीं बदला जा सकता। याचिका में यह भी बताया गया कि विभाग ने उसकी नियुक्ति के बाद एक आदेश को भूतलक्षी प्रभाव से लागू कर वेतनमान में बदलाव किया है। इस दौरान याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई मौका भी नहीं दिया। दूसरी ओर विभाग की ओर से कहा गया कि विभाग के नियमों के तहत कर्मचारी को नियुक्ति के शुरुआती दो साल परिवीक्षा के तौर पर फिक्स वेतन पर रखा जाता है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को फिक्स वेतन पर करने के आदेश को रद्द कर दिया है।
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(Udaipur Kiran)