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हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर वकीलों से पुलिस की मारपीट पर हाईकोर्ट बार गम्भीर

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-अध्यक्ष ने कोर्ट में मेंशन कर चीफ जस्टिस से संज्ञान लेने का आग्रह किया-मुख्य न्यायमूर्ति ने लिखित प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने को कहा

महाकुम्भ नगर, 04 फरवरी (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाकर वकीलों को न्यायालय आने से रोकने और उनके साथ पुलिस द्वारा बुरी तरह मारपीट को गम्भीरता से लिया है। हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने चीफ जस्टिस के समक्ष इस घटना को लेकर मेंशन भी किया। चीफ जस्टिस ने उन्हें लिखित रूप से अपनी बात प्रस्तुत करने और फिर उस पर विचार करने को कहा। इस पर बार एसोसिएशन की ओर से चीफ जस्टिस को लिखित प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया है।

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि महाकुम्भ के कारण और सम्भावित आवागमन समस्याओं को लेकर 10 जनवरी को प्रस्ताव पास कर मुख्य न्यायमूर्ति को अवगत कराया गया कि प्रशासन की व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक स्नान पर्व के एक दिन पूर्व व एक दिन बाद आवागमन प्रतिबंधित रहेगा। जिससे संगम क्षेत्र के आसपास एवं शहर के बाहरी क्षेत्रों में रहने वाले वकीलों का न्यायालय तक पहुंचना कठिन होगा। इसलिए प्रत्येक पर्व के एक दिन पूर्व व एक दिन बाद अवकाश घोषित करने की मांग की गई थी। बाद में नो एडवर्स ऑर्डर का आग्रह किया गया और चीफ जस्टिस व हाईकोर्ट प्रशासन ने सहयोग प्रदान किया।

मुख्य न्यायमूर्ति ने हाईकोर्ट बार के प्रस्ताव पर विचार किया और उनके प्रयास के कारण प्रशासन ने एक आदेश कर न्यायालय आने वाले अधिवक्ताओं को न रोकने का आदेश किया। उसके बाद भी विषम परिस्थिति आई तो चीफ जस्टिस ने स्वयं नो एडवर्स ऑर्डर कर दिया। 27 जनवरी को भी नो एडवर्स ऑर्डर रहा। उसके बाद भीड़ को देखते हुए बार के प्रस्ताव पर दो दिन अवकाश भी घोषित किया गया।

मंगलवार को न्यायालय में कार्य दिवस होने के कारण सभी अधिवक्ता, उनके स्टाफ, मुंशी आदि अपने घरों से निकले लेकिन पुलिस प्रशासन ने हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें न्यायालय आने से रोका और कहा कि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम है, इसलिए आप लोगों को नहींं जाने दिया जा सकता। इस पर कुछ अधिवक्ताओं ने पुलिस प्रशासन का 13 जनवरी का आदेश दिखाया। जिसमें वकीलों को न रोकने की बात थी। लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनको नहीं निकलने दिया और कहा कि हमें यही निर्देश मिला है कि किसी को नहीं जाने दिया जाए।

अधिवक्ताओं को रोकने पर काफी अधिक संख्या में अधिवक्ता एकत्र हो गए और प्रशासन का विरोध करने लगे इस पर पुलिस प्रशासन ने अधिवक्ताओं से अभद्रता, गाली-गलौज और बुरी तरह मारपीट की। अधिवक्ताओं के बैंड, कपड़े व फाइलें फाड़ दिए। जिससे स्थिति गम्भीर हो गई और इसे लेकर अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें कई पुलिसकर्मियों द्वारा अधिवक्ताओं से अभद्रता और मारपीट व क्रूरता दिखाई दे रही है। घटना की गम्भीरता और अधिवक्ताओं के आक्रोश को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने छोटे पद पर तैनात एक पुलिसकर्मी को निलम्बित किया है। जबकि अधिवक्ताओं से मारपीट में कई उच्चाधिकारी भी मौजूद थे। उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई।

शिकायत में पुलिस प्रशासन के उक्त कृत्य को मानवाधिकार का उल्लंघन व न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप बताते हुए प्रार्थना की गई है कि इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए घटना में दोषी सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही और उचित कानूनी कार्यवाही का आदेश देने की मांग की गई है। साथ ही सभी दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध एफआईआर, दोषियों को चिह्नित करके उन्हें सेवामुक्त करने, भविष्य में किसी भी अधिवक्ता पर सीधे पुलिस का कोई भी कर्मचारी इस तरह की घटना अंजाम न दे इसलिए पुलिस महानिदेशक को यथोचित निर्देश दिए जाने की मांग भी की गई है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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