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हाई कोर्ट ने पूछा- आरोपों के एक साल बाद जांच समिति, अचानक राज्य सरकार की नींद क्यों टूटी

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कोलकाता, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । आरजी कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के एक साल बाद जांच समिति गठित करने पर सवाल उठाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को 24 घंटे का समय दिया है और शुक्रवार को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के कई आरोप लगाए गए हैं। इनमें से एक मामला संदीप के पूर्व सहयोगी और आरजी कर के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने दायर की है, जबकि दूसरा मामला वकील सुष्मिता साहा दत्ता ने दायर की है। गुरुवार को इन दोनों मामलों में से पहले मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति भारद्वाज की बेंच में हुई।

अख़्तर के वकील तरुणज्योति तिवारी ने कोर्ट को बताया कि संदीप घोष के खिलाफ राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को कई शिकायतें दी गई थीं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब एक साल बाद राज्य सरकार उसी मामले पर एसआईटी का गठन कर रही है। इसलिए उन्होंने एसआईटी पर भरोसा न करते हुए इस मामले की जांच ईडी से कराने की मांग की है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार से सवाल किया कि आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या के बाद अचानक वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई?

राज्य सरकार ने इसके जवाब में कहा कि संदीप के खिलाफ यह मामला उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया गया है। उन्होंने पूछा कि आरजी कर की घटना के बाद ही क्या याचिकाकर्ता को यह मुद्दा समझ में आया? जब पहले शिकायत दर्ज की गई थी और उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने पहले अदालत का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया?

न्यायमूर्ति भारद्वाज ने शुक्रवार तक राज्य सरकार को एसआईटी गठन पर सवालों के जवाब देने का समय दिया है और कहा कि उस दिन अदालत राज्य सरकार की विस्तृत दलीलें सुनेगी।

उल्लेखनीय है कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख़्तर अली ने अपने पूर्व सहयोगी संदीप घोष के खिलाफ टेंडर में पक्षपात, मेडिकल वेस्ट की अवैध बिक्री, कट मनी लेने और पैसे के बदले डॉक्टरों को पास कराने के आरोप लगाए हैं। इस मामले में आवाज़ उठाने के कारण अख़्तर को आरजी कर से स्थानांतरित कर दिया गया था। उनके वकील ने अदालत को बताया कि पिछले साल 11 जनवरी को अस्पताल की मोर्चरी से एक शव गायब हो गया था। इसी शिकायत मानवाधिकार आयोग से की गई थी और उन्होंने संदीप को तलब भी किया था। बाद में मेडिकल वेस्ट भ्रष्टाचार को लेकर भी संदीप के खिलाफ राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में शिकायत दर्ज की गई थी लेकिन किसी भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर / गंगा / पवन कुमार

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