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हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से पूछा, प्रयागराज में एम्स क्यों स्थापित नहीं हो सकता

इलाहाबाद हाईकोर्ट

केंद्र सरकार से भी मांगा जमीनी हकीकत पर हलफनामा

प्रयागराज, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से पूछा है कि प्रयागराज में एम्स स्थापित करना क्यों जरूरी नहीं है। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि आदेश की जानकारी मुख्य सचिव को दी जाएगी।

कोर्ट ने पिछले आदेश में केंद्र सरकार की ओर से अपर सालिसिटर जनरल वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह से प्रयागराज में एम्स के स्थापना की जमीनी हकीकत की जानकारी मांगी थी। उन्होंने जमीनी हकीकत और केंद्र सरकार के रुख को लेकर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने जनहित याचिका को सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर को पेश करने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने सहज सारथी फाउंडेशन व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में याची का कहना है कि पिछले 10 सालो में केवल पूर्वांचल में एक एम्स स्थापित किया जा सका है। प्रदेश की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है। ऐसे में प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था की स्थापना किया जाना जरूरी है। प्रयागराज का सड़क रेल मार्ग से चारों दिशाओं में सम्पर्क मार्ग है। और यहां उच्च सुविधा युक्त कोई अस्पताल नहीं है।

अपर सालिसिटर जनरल ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के हवाले से बताया कि 2014-15 मे आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में चार एम्स स्थापित किए जाने की घोषणा की गई थी। वर्ष 2015-16 के बजट में सात नये एम्स स्थापित करने की घोषणा की गई। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, असम व बिहार में एम्स स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2017-18 मे गुजरात व झारखंड में दो एम्स स्थापित किए गये। वर्ष 2019-20 के बजट में हरियाणा में नया एम्स स्थापित किया गया। वर्ष 2014-15 के बजट में गोरखपुर में एम्स स्थापित किया गया है। अपर सालिसिटर जनरल व भारत सरकार के अधिवक्ता संजय कुमार ओम ने बताया कि पूर्वांचल में एम्स की स्थापना के बाद प्रदेश में किसी नये एम्स की योजना केंद्र सरकार ने नहीं दी है।

कोर्ट ने कहा पिछले 10 सालों में चिकित्सा सुविधाओं पर जनसंख्या बढ़ने से भारी दबाव है। जिस पर केंद्र सरकार से प्रयागराज में एम्स के स्थापना की जमीनी हकीकत पर रिपोर्ट मांगी थी। किंतु लगता है कोई मूल्यांकन नहीं किया गया। जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा गया। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से भी रिकॉर्ड पेश करने को कहा है कि प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था क्यों नहीं स्थापित की जानी चाहिए। याचिका की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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