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एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर हाई कोर्ट ने महिला के 32 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की इजाजत दी

नई दिल्ली, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने एक शादीशुदा महिला के 32 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की इजाजत दे दी है। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने एम्स के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद ये आदेश दिया।

एम्स की मेडिकल बोर्ड ने महिला के परीक्षण के बाद कहा कि भ्रूण को रखना महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक होगा। यहां तक कि बच्चे का जन्म कई बीमारियों के साथ होगा। ऐसे में भ्रूण को जारी रखना ठीक नहीं होगा। हाई कोर्ट ने कहा कि जितना ज्यादा दिन तक भ्रूण को महिला के गर्भ में रखा जाएगा, दोनों के लिए खतरा बढ़ता जाएगा। हाई कोर्ट ने कहा कि महिला और अजन्मे भ्रूण के स्वास्थ्य को देखते हुए भ्रूण को हटाने की अनुमति दी जाती है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने महिला से भी बात की। महिला ने कोर्ट से कहा कि एम्स के मेडिकल बोर्ड की राय आने के बाद भ्रूण को हटाने का उसका व्यक्तिगत फैसला है। वो भ्रूण हटाना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) कानून में हुए संशोधन के बाद 24 माह तक के भ्रूण को भी कुछ विशेष परिस्थितियों में हटाने की इजाजत दी जा सकती है। पहले एमटीपी एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं थी। बाद में इसमें संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की विशेष परिस्थितियों में अनुमति दी गई। अगर 24 हफ्ते से अधिक का भ्रूण गर्भवती महिला के स्वास्थ्य या उसके मानसिक स्थिति पर बुरा असर डालता है तो उसे हटाने की अनुमति दी जा सकती है।

(Udaipur Kiran) / संजय

(Udaipur Kiran) पाश / सुनीत निगम

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