
-साक्ष्यों के अभाव में निचली अदालत का फैसला पलटानैनीताल, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट ने एक दहेज हत्या मामले में निचली अदालत द्वारा आरोपित को दी गई दस साल की सजा और दो हजार रुपये के अर्थदंड के आदेश को खारिज करते हुए सबूतों के अभाव में आरोपित को बरी कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुनाया। मामला अल्मोड़ा जनपद के ग्राम बिबड़ी, तहसील भनोली निवासी रमेश चन्द्र से जुड़ा है, जिसकी शादी वर्ष 2000 में मुन्नी देवी से हुई थी। विवाह के एक वर्ष के भीतर मुन्नी देवी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। मृतका के परिजनों ने उस पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी पुत्री को कम दहेज दिए जाने के कारण हत्या कर दी है। परिजनों का यह कहना था कि जब उनकी लड़की मायके आती थी तो वह हमेशा कहा करती थी कि ससुराल वाले शादी में कम दहेज देने के ताने उसे बार बार देते रहते हैं। अब उसका पति उससे 1 लाख 25 हजार नकद व 4 तोला सोना मायके वालों से लाने की मांग कर रहा है। सुनवाई के दौरान आरोपित पति की तरफ से कहा गया कि उसे दहेज मांगने के चक्कर में गलत फंसाया गया है। उसने व उसके परिजनों ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की। जब से शादी हुई लड़की खुद अपने रोग से परेशान थी। लड़की मिर्गी रोग से पीड़ित थी। आए दिन उसे मिर्गी के दौरे पड़ते रहते थे। इससे परेशान होकर उसने जहर खा लिया था। उसके परिजनों ने यह रोग शादी तय होने के वक्त उनसे छुपाया था। अब उसे व उसके परिवार के सदस्यों को दहेज के झूठे मुकदमें में फंसाया गया। जब यह मुकदमा निचली अदालत में चल रहा था तो मिर्गी रोग के बारे में कोई सुनवाई नहीं हुई। बयान के दौरान न इसके बारे में अभियोजन पक्ष की तरफ से यह प्रश्न पूछा गया। कोर्ट ने मामले को गम्भीरता से सुनवाई के बाद निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए उसे बरी करने के आदेश दिए।
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(Udaipur Kiran) / लता
