Jharkhand

हेमंत सरकार नये वेतनमान से शिक्षकों का कर रही अपमान : रमाकांत महतो

रमाकांत महतो  फ़ाइल फ़ोटो

रांची, 11 जून (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रमाकांत महतो ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा झारखंड प्रशिक्षित माध्यमिक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा- 2025 के विज्ञापन पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि हेमंत सरकार गलत तरीके से नियमावली में बदलाव कर नए वेतनमान में शिक्षकों को बहाली कर अपमानित करना चाहती है।

रमाकांत महतो ने बुधवार को कहा कि हेमंत सरकार न केवल नयी नियुक्ति नियमावली के माध्यम से शिक्षकों के वेतनमान में कटौती कर रही है, बल्कि टीजीटी और पीजीटी जैसे स्थापित पदों को समाप्त कर माध्यमिक आचार्य के नाम पर शिक्षकों को कम वेतन पर नियुक्त कर रही है। इससे न केवल शिक्षकों का अपमान हो रहा है, बल्कि योग्य शिक्षित बेरोजगारों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।

उन्होंने बताया कि पहले टीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति 4600 ग्रेड पे एवं 44,900 बेसिक वेतन, तथा पीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति 4800 ग्रेड पे एवं 47,600 बेसिक वेतन पर होती थी, जबकि अब सरकार इन्हीं पदों पर नियुक्त माध्यमिक आचार्य को केवल 4200 ग्रेड पे एवं 35,400 बेसिक वेतन देने जा रही है।

महतो ने कहा कि सरकार की ओर से इस प्रकार वेतनमान में कमी और पदनाम में बदलाव से शिक्षकों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जब नौवीं से बारहवीं तक की कक्षा एक ही शिक्षक को पढ़ानी होगी तो यह शिक्षकों पर अनावश्यक कार्यभार का बोझ डालेगा।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सरकार द्वारा जारी नये नियमावली के तहत उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक और +2 विद्यालय के प्राचार्य के पदों को हटाकर एक साझा प्रधानाचार्य का पद बनाया गया है, जिसका ग्रेड पे मात्र 4800 निर्धारित किया गया है, जबकि पूर्व में क्रमश: 5400 और 7600 ग्रेड पे मिलते थे। यह शिक्षकों के प्रति घोर अवमानना को दर्शाता है।

भाजपा प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि जब केंद्र सरकार की ओर से संचालित केंद्रीय विद्यालयों में अभी भी टीजीटी और पीजीटी का पद बरकरार है, तो झारखंड में इन्हें क्यों समाप्त किया गया। क्या यह निर्णय नयी शिक्षा नीति-2020 के नाम पर शिक्षकों का शोषण करने की साजिश नहीं है?

उन्होंने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार न तो नियोजन नीति लेकर आई, न रोजगार दे पाई, और अब जो नियुक्तियां हो रही हैं, उसमें भी शिक्षकों को कम वेतनमान देकर अपमानित किया जा रहा है। यह राज्य के शिक्षित युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय है।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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