रांची, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । झारखंड हाई कोर्ट में राज्य के जिलों में रूलर वर्क डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऑफिस में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई शनिवार काे हुई। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मामले में सचिव, रूलर वर्क डिपार्टमेंट को चार माह में प्रार्थियों के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि यदि याचिकाकर्ता की देय राशि बनती है तो इसका भुगतान उन्हे सुनिश्चित किया जाए। कोर्ट ने दिशा-निर्देश देते हुए याचिका निष्पादित कर दी। याचिकाकर्ता प्रेमचंद विनोद टेटे एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया था कि वह जिलों में रूलर वर्क डिपार्टमेंट में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऑफिस में संविदा पर कार्यरत है। उनकी ओर से समान काम के बदले समान वेतन देने का आग्रह करते हुए वित्त विभाग के वर्ष 2017 एवं वर्ष 2023 के नोटिफिकेशन के आधार पर मानदेय भुगतान का आग्रह किया गया था।
उनकी ओर से कहा गया था कि वे वर्ष 2005-6 से संविदा पर कार्यरत है। उन्हें प्रति माह 10,500 मिलते हैं। वर्ष 2017 के वित्त विभाग के नोटिफिकेशन के आधार पर रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्मेंट सहित अन्य विभाग के कंप्यूटर ऑपरेटर, यहां तक कि सचिवालय में कार्यरत रूलर वर्क डिपार्टमेंट के संविदा कर्मियों को 26,800 रुपये का भुगतान किया जा रहा है लेकिन राज्य के जिलों में रूलर वर्क डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऑफिस में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
वित्त विभाग ने वर्ष 2023 में झारखंड में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर का मानदेय 34,400 कर दिया है इसका भी लाभ भी प्रार्थियों नहीं मिल रहा है। ऐसे में प्रार्थियों को वित्त विभाग के 2017 के नोटिफिकेशन एवं 2023 के नोटिफिकेशन के आधार पर समान काम के बदले समान वेतन के तहत देय राशि का भुगतान किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कोर्ट को बताया कि जब रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट सहित अन्य विभागों के कंप्यूटर ऑपरेटर को वित्त विभाग के नोटिफिकेशन के तहत मानदेय का लाभ मिल रहा है तो जिलों में रूलर वर्क डिपार्टमेंट में कार्यरत इन कर्मियों को भी लाभ मिलना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना / चन्द्र प्रकाश सिंह