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नदियों में भारी मशीनों से खनन की अनुमति देने के मामले पर सुनवाई 15 को

नैनीताल हाईकोर्ट।

– सरकारी मशीनरी से खनन कराने के लिए प्लान पेश करने के निर्देश

नैनीताल, 03 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुशुवा एवं अन्य नदियों में भारी मशीनों से खनन की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि नियत की है। तब तक कोर्ट ने संबं​धित अधिकारियों को इस संबंध में सरकारी मशीनरी से खनन कराने के लिए प्लान पेश करने को कहा है। सुनवाई पर सचिव खनन बृजेश संत कोर्ट में विडियोंकॉफ्रेसिंग के माध्यम से पेश हुए। उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट से कहा कि पूर्व के आदेश पर उनकी संबं​धित विभागों के साथ वार्ता हुई है। खनन नियमावली में कई तरह के संशोधन करने करने का फैसला लिया है। अभी वर्षात शुरू होने में दो माह का समय बचा हुआ है। उससे पहले नदियों से खनन करने की अनुमति दी जाए। ताकि वर्षात के दौरान इनका पानी आबादी व कृषि भूमि को नुकसान न पहुंचा सके। अभी नदियों में भारी बोल्डर व शिल्ट भी जमा हुआ है। अगर समय रहते हुए इन्हें नही हटाया गया तो मानसून में बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए सरकार को इनको हटाने के लिए मशीनों के उपयोग करने की अनुमति दी जाए। जिस पर कोर्ट ने सरकार को अगली तिथि तक प्लान पेश करने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

मामले के अनुसार देहरादून निवासी विरेंद्र कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुशुवा व एक अन्य नदी में खनन कार्य करने के लिए भारी भरकम मशीनों की अनुमति दे दी है। भारी मशीनों से खनन करने पर नदी का जल स्तर नीचे बैठ गया है। साथ मे उनकी कृषि योग्य भूमि भी प्रभावित हो गई है। उनको सिंचाई के लिए पानी तक नही मिल पा रहा है। यही नही भारी मशीनों से खनन कार्य करने के कारण स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए है। पहले उनको नदी में खनन करने से रोजगार मिल जाया करता था। लेकिन जब से सरकार ने भारी मशीनों को खनन की अनुमति दी है तब से स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं। जनहित याचिका में उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना की गई कि भारी मशीनों से खनन कार्य करने पर रोक लगाई जाए, उनकी कृषि योग्य भूमि को बचाया जाए और खनन कार्य मे स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए न कि मशीनों को। सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वर्षात के दौरान नदी में भारी मात्रा में शिल्ट, गाद, बड़े बोल्डर व अन्य आ जाते है। जिसकी वजह से नदी का रास्ता अवरुद्ध होकर अन्य जगह बहने लगता है। इसको हटाने के लिए मैन पावर की जगह मशीनों की जरूरत पड़ती है, इसलिए सरकार ने जनहित को देखते हुए मशीनों का उपयोग करने की अनुमति दी। ताकि नदी अपनी अविरल धारा में बहे। लेकिन इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि इसका मुख्य कारण नदियों पर हुए अवैध खनन है।

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(Udaipur Kiran) / लता

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नदियों में भारी मशीनों से खनन की अनुमति देने के मामले पर सुनवाई 15 को

नैनीताल हाईकोर्ट।

– सरकारी मशीनरी से खनन कराने के लिए प्लान पेश करने के निर्देश

नैनीताल, 03 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुशुवा एवं अन्य नदियों में भारी मशीनों से खनन की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि नियत की है। तब तक कोर्ट ने संबं​धित अधिकारियों को इस संबंध में सरकारी मशीनरी से खनन कराने के लिए प्लान पेश करने को कहा है। सुनवाई पर सचिव खनन बृजेश संत कोर्ट में विडियोंकॉफ्रेसिंग के माध्यम से पेश हुए। उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट से कहा कि पूर्व के आदेश पर उनकी संबं​धित विभागों के साथ वार्ता हुई है। खनन नियमावली में कई तरह के संशोधन करने करने का फैसला लिया है। अभी वर्षात शुरू होने में दो माह का समय बचा हुआ है। उससे पहले नदियों से खनन करने की अनुमति दी जाए। ताकि वर्षात के दौरान इनका पानी आबादी व कृषि भूमि को नुकसान न पहुंचा सके। अभी नदियों में भारी बोल्डर व शिल्ट भी जमा हुआ है। अगर समय रहते हुए इन्हें नही हटाया गया तो मानसून में बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए सरकार को इनको हटाने के लिए मशीनों के उपयोग करने की अनुमति दी जाए। जिस पर कोर्ट ने सरकार को अगली तिथि तक प्लान पेश करने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

मामले के अनुसार देहरादून निवासी विरेंद्र कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुशुवा व एक अन्य नदी में खनन कार्य करने के लिए भारी भरकम मशीनों की अनुमति दे दी है। भारी मशीनों से खनन करने पर नदी का जल स्तर नीचे बैठ गया है। साथ मे उनकी कृषि योग्य भूमि भी प्रभावित हो गई है। उनको सिंचाई के लिए पानी तक नही मिल पा रहा है। यही नही भारी मशीनों से खनन कार्य करने के कारण स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए है। पहले उनको नदी में खनन करने से रोजगार मिल जाया करता था। लेकिन जब से सरकार ने भारी मशीनों को खनन की अनुमति दी है तब से स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं। जनहित याचिका में उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना की गई कि भारी मशीनों से खनन कार्य करने पर रोक लगाई जाए, उनकी कृषि योग्य भूमि को बचाया जाए और खनन कार्य मे स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए न कि मशीनों को। सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वर्षात के दौरान नदी में भारी मात्रा में शिल्ट, गाद, बड़े बोल्डर व अन्य आ जाते है। जिसकी वजह से नदी का रास्ता अवरुद्ध होकर अन्य जगह बहने लगता है। इसको हटाने के लिए मैन पावर की जगह मशीनों की जरूरत पड़ती है, इसलिए सरकार ने जनहित को देखते हुए मशीनों का उपयोग करने की अनुमति दी। ताकि नदी अपनी अविरल धारा में बहे। लेकिन इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि इसका मुख्य कारण नदियों पर हुए अवैध खनन है।

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(Udaipur Kiran) / लता

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