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हाई कोर्ट में ‘छात्र समाज’ के नेता सायन लाहिड़ी की गिरफ्तारी पर सुनवाई, संदीप घोष की गिरफ्तारी पर भी उठा सवाल

नेता सायन लाहिड़ी की गिरफ्तारी पर सुनवाई

कोलकाता, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के ‘छात्र समाज’ संगठन द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान कोलकाता पुलिस ने संगठन के एक प्रमुख नेता, सायन लाहिड़ी, को गिरफ्तार कर लिया था। सायन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने फ़ैसला स्थगित कर दिया।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सायन लाहिड़ी के वकील ने दावा किया कि सायन ने किसी पर हमला नहीं किया था और पुलिस उनकी गिरफ्तारी का कोई ठोस सबूत नहीं दे सकती। राज्य की ओर से कहा गया कि सायन की रैली बिना पुलिस की अनुमति के आयोजित की गई थी और इस रैली के कारण हिंसा हुई। इस आधार पर राज्य सरकार ने सायन की गिरफ्तारी को सही ठहराया।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के समक्ष यह सवाल भी उठा कि जब रैली के आयोजक सायन लाहिड़ी को गिरफ्तार किया गया, तो आर.जी. कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया, जिनका नाम इसी तरह की अराजकता के मामले में सामने आया है। न्यायमूर्ति ने राज्य सरकार से पूछा कि अगर रैली के आयोजक की गिरफ्तारी हो सकती है, तो फिर आर.जी. कर अस्पताल की घटना के लिए जिम्मेदार संदीप घोष की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

गौरतलब है कि आर.जी. कर अस्पताल की घटना के बाद संदीप घोष के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था और उन पर गंभीर आरोप लगे थे। इन आरोपों के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद से सीबीआई लगातार उनसे पूछताछ कर रही है।

सुनवाई के दौरान सायन लाहिड़ी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर तृणमूल कांग्रेस के फ्लेक्स को फाड़ने का आरोप है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुलिस किसी राजनीतिक पार्टी की संपत्ति की रक्षा कर रही है? सायन के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि सायन द्वारा आयोजित रैली के लिए पुलिस से कोई अनुमति नहीं ली गई थी और रैली के दौरान हिंसा हुई। इसके समर्थन में राज्य ने रैली की अशांति की कुछ तस्वीरें भी अदालत में पेश कीं।

हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है और उम्मीद है कि शुक्रवार को इस मामले पर अदालत का फ़ैसला आ सकता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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