बिलासपुर, 27 मार्च (Udaipur Kiran) ।प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई विशेषज्ञ और प्रयोगशाला नहीं होने से जुड़ी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इसको लेकर हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। केंद्र सरकार के पत्र का जवाब नहीं दिए जाने को लेकर को लेकर आज राज्य के मुख्य सचिव ने शपथपत्र पेश करने समय मांगा। जिस पर हाइकोर्ट ने 9 अप्रैल तक की मोहलत दी है।
इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने फिर से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।
दरअसल याचिकाकर्ता शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल और रुद्र प्रताप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि देशभर में 16 स्थानों पर इलेक्ट्रानिक साक्ष्य विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक कोई विशेषज्ञ नियुक्त नहीं हुआ है। कोर्ट ने इस मुद्दे को महत्वपूर्ण मानते हुए मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 9 अप्रैल को निर्धारित की गई है। इस मामले में प्रदेश में डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञ की नियुक्ति और जरूरी अधिसूचनाओं को लेकर आगे की कार्रवाई तय होगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63(4) का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रानिक अभिलेखों के प्रमाणीकरण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की स्थापना अनिवार्य है। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79-ए के तहत राज्य में कोई प्रमाणित डिजिटल फोरेंसिक परीक्षक नहीं है, जिससे मामलों में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने बताया कि केंद्र और राज्य स्तर पर डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की अधिसूचना के लिए एक योजना लागू की गई है। इसके तहत आइटी अवसंरचना, आवश्यक उपकरणों की स्थापना, प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति और प्रयोगशाला संचालन की प्रक्रिया शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल फोरेंसिक लैब की अधिसूचना के लिए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिससे आगे की कार्रवाई संभव होगी। वही केंद्र सरकार को जानकारी भेजी जानी थी। जिसका जवाब नहीं मिला है। हाइकोर्ट ने इसको लेकर व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने निर्देश दिया गया है।
(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi
