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मेडिकल पीजी प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर लगी याचिका पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट,बिलासपुर

बिलासपुर, 25 फ़रवरी (Udaipur Kiran) ।छत्तीसगढ़ में स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रम प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका की आज मंगलवार को सुनवाई हुई। जिसमें सरकार को जवाब पेश करना था। जवाब पेश ना करने पर कोर्ट ने आज(मंगलवार )ही इस पूरे मामले में शपथपत्र दाखिल करने और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को उसकी कॉपी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को भी रिजॉइंडर पेश करने का आदेश दिया है। दरअसल याचिकाकर्ताओं की तरफ से बताया गया कि वे सेवारत डॉक्टर हैं। 2024 की प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल की है। नियमों के अनुसार सेवारत श्रेणी के तहत पात्रता के लिए 31 जनवरी 2024 तक तीन साल की सेवा पूरी करना अनिवार्य है। लेकिन काउंसिलिंग के दौरान पता चला कि कई अपात्र उम्मीदवारों को गलत तरीके से सेवारत श्रेणी का लाभ दिया गया है। प्रारंभिक सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने काउंसिलिंग पर रोक लगा दी है। वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को भी अगली सुनवाई तक जवाब पेश करने कहा है।अगली सुनवाई की तिथि 27 फरवरी 2025 को निर्धारित की है।

याचिकाकर्ता डॉ. यशवंत राव और डॉ. पी. राजशेखर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि मेडिकल पीजी प्रवेश की काउंसलिंग प्रक्रिया में कई अपात्र उम्मीदवारों को सेवारत श्रेणी का लाभ दिया गया। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार, इस श्रेणी में पात्रता के लिए 31 जनवरी 2024 तक तीन साल की सेवा पूरी करना अनिवार्य था।। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार, इस श्रेणी में पात्रता के लिए 31 जनवरी 2024 तक तीन साल की सेवा पूरी करना अनिवार्य था।इसमें बताया कि उन्हें मेडिकल पीजी में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसिलिंग के दौरान पता चला कि कई अपात्र उम्मीदवारों को गलत तरीके से सेवारत श्रेणी का लाभ दिया गया। अधिकारियों ने सेवा अवधि की गणना कटऑफ तारीख से आगे बढ़ा दी, जिससे अयोग्य उम्मीदवारों को भी पात्र मान लिया गया। उन्होंने विभाग में इस गड़बड़ी की शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बताया गया है कि कि जिम्मेदार अधिकारियों ने एक निजी उम्मीदवार को सेवारत श्रेणी में प्रमाणित किया है। जांच में सामने आया कि सेवा अवधि की गणना 31 जनवरी 2024 के बाद तक बढ़ा दी गई। यदि कटऑफ तारीख का पालन किया जाता, तो वह उम्मीदवार 2021 के नियमों के नियम 2(1)पात्र नहीं होता। उम्मीदवार की सेवा अवधि तीन वर्ष से कम है। वर्तमान याचिका में उक्त विसंगतियां उठाई गई हैं।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बैंच में पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने भी माना कि शिकायत सही लग रही है। हाई कोर्ट ने पाया कि निजी उम्मीदवार को कटऑफ तारीख के बाद सीट आवंटित की गई। स्ट्रे राउंड काउंसलिंग शुरू होनी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाने के आदेश दिया हैं। साथ ही निर्देश दिया कि यह आदेश केवल व्यक्तिगत रूप से नहीं, बल्कि समान स्थिति वाले सभी उम्मीदवारों पर लागू होगा।

महाधिवक्ता ने कहा है कि हाइकोर्ट इस आदेश की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दिया है। वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी 2025 तक काउंसलिंग को लेकर निर्देश दिए हैं। इसके बाद काउंसलिंग बंद हो जाएगी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने महाधिवक्ता को इस मामले में रिप्लाई पेश करने और याचिकाकर्ता को उसकी कॉपी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि उन्हें प्रत्युत्तर देने का समय मिल सके। वहीं इसमें निजी प्रतिवादी उम्मीदवार को जानकारी देने का आदेश दिया है। उसके साथ ही अगली सुनवाई की तिथि 27 फरवरी 2025 को निर्धारित की है।

(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi

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