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मप्र हाई कोर्ट में शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ हुई सुनवाई, सुरक्षित रखा फैसला

मप्र हाईकोर्ट का संविदा शिक्षकों के हित में बड़ा फैसला, कहा- बार-बार चयन प्रक्रिया अन्यायपूर्ण
सिब्बल और तन्खा मीढिया से बात करते हुए

जबलपुर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आपराधिक अवमानना से जुड़े मामले में शनिवार को मप्र हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा का पक्ष रखा। करीब दो घंटे चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

दरअसल, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने ओबीसी आरक्षण पर रोक के लिए विवेक तन्खा को जिम्मेदार बताया था। इस मामले को लेकर विवेक तन्खा ने एमपी-एमएलए कोर्ट में तीनों के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का मानहानि का केस दायर किया था। इस मामले में एमपी एमएलए की विशेष कोर्ट द्वारा तीनों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया था, जिसे चुनौती देते हुए शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने तीनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 सितंबर की दी थी।

शनिवार को हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल जबलपुर पहुंचे थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगर कोर्ट के बाहर किसी अधिवक्ता के ऊपर गलत लांछन लगाया जाए तो यह गलत है। पूरी सुनवाई के दौरान राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा भी कपिल सिब्बल के साथ मौजूद रहे।

हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद बाहर आए कपिल सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम जो वकील हैं, कोर्ट में जाकर कर्तव्य निभाते हैं। बहस करते हैं और कोर्ट के बाहर अगर लांछन लगे जो कि लगाने वाले को भी पता है कि झूठ है और प्रोफेशन पर अगर चोट लगे तो मैं समझता हूं कि समाज के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि एक वकील तो अपना काम करता है। उस आधार पर ही न्याय कोर्ट से मिलता है। अगर उन पर ही गलत आरोप लगाया जाए तो न्याय की व्यवस्था क्या रहेगी।

कपिल सिब्बल ने कहा कि शिवराज सिंह जो कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, उन्हें 19 तारीख को नोटिस दिया और बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में हमने ओबीसी का मुद्दा हमारे पास नहीं था, जो आरोप आप लगा रहे हैं। इसके बाद 21 दिसंबर को विवेक तन्खा ने पत्रकार वार्ता कर उनके आरोप को झूठा बताया तब भी कोई जवाब नहीं आया। कपिल सिब्बल ने कहा कि जो राजनेता लोग ऐसा करेंगे तो वकील इकट्ठा होंगे तो उन्हें सामना करना ही पड़ेगा, जिसकी शुरुआत विवेक तन्खा ने कर दी है।

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि मैं आज की सुनवाई से पूरी तरह से संतुष्ट हूं, क्योंकि कपिल सिब्बल ने कानून की जो परिभाषा कोर्ट में रखी वह सही है। उन्होंने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल के पद पर भी रह चुका हूं और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ता हूं। यह मानहानि का मुकदमा एक नेता के रूप में नहीं बल्कि एक अधिवक्ता के रूप में मैंने दायर किया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी नेता को कोर्ट की कार्रवाई के विषय में झूठ मत बोलो, उनके साथ खिलवाड़ मत करो, क्योंकि यह एक सीरियस मामला है, जिस पर पूरे देश की निगाह रहती है। विवेक तन्खा ने यह भी कहा कि कोर्ट और वकीलों के साथ खिलवाड़ करना गलत है, इसको लेकर बहस हुई है। तन्खा ने अदालत से उम्मीद जताई कि है फैसले के जरिए एक नजीर पेश की जाए।

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(Udaipur Kiran) तोमर

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