Bihar

बढती गर्मी के साथ एईएस को लेकर स्वास्थ्य विभाग हुआ सतर्क

एईएस की तैयारी को लेकर समीक्षा बैठक में भाग लेते अधिकारी

-एसडीएम ने की स्वास्थ्य विभाग की तैयारी की समीक्षा

पूर्वी चंपारण,27 मार्च (Udaipur Kiran) । स्वास्थ्य विभाग बढती गर्मी के साथ ही एईएस व जेई के रोकथाम व बचाव को लेकर सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। रोकथाम को लेकर हो रही तैयारी का गुरुवार को एसडीएम सदर श्वेता भारती के अध्यक्षता में समाहरणालय परिसर में जिले के सभी अनुमंडल के उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सभी सीडीपीओ, बीईओ व अन्य विभागों के अधिकारियो के साथ समीक्षा बैठक की।

बैठक को संबोधित करते एसडीएम श्वेता भारती ने कहा की गर्मियों में एईएस/जेई के मामले इस जिले में ज्यादातर देखने को मिलते है। इस गंभीर बीमारी से निबटने लेकर सभी अनुमण्डलीय अस्पताल, पीएचसी को इमरजेंसी में ईलाज व दवाओ की उपलब्धता होनी चाहिए।ताकि ऐसे मामलों के आने पर किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो।

उन्होंने बताया की जागरूकता हेतु विभागीय स्तर पर गांव-गांव में पंपलेट का वितरण व चौपाल लगाए जाए ताकि लोग जागरूक होकर बच्चों को सुरक्षित करें।मौके पर डीभीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा ने कहा की इसकी रोकथाम के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर बच्चों को टीकाकरण कराए जाते है।आवश्यक तैयारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्राउंड लेवल पर प्रचार-प्रसार किया जाता है। सदर अस्पताल में 10 बेड, अनुमंडलीय अस्पताल में 05 बेड का पीकू वार्ड साथ ही प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 02 बेड के वार्ड बनाए जाते है। वहीं इसकी रोकथाम व बचाव को लेकर आशा, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, चिकित्सकों को आवश्यक ट्रेनिग दी जा चुकी है। एईएस व जेई मैनेजमेंट के लिये पूर्व में उपलब्ध कराये गये दवाये एवं उपकरणों की उपलब्धता के साथ 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया गया है।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान पर ओआरएस एवं पारासिटामोल दवा कि उपलब्धता आवश्यक मात्रा में सुनिश्चित किया गया है।उन्होने बताया कि चमकी की बीमारी में शुरूआत में तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते है और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते है। जबड़े और दांत कड़े हो जाते है। बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है। अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो मृत्यु हो सकती है।ऐसे में परिजन बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल लेकऱ आए देरी न करें।एईएस मरीजों की चिकित्सा हेतु सदर अस्पताल और सभी स्वास्थ्य संस्थानों में कंट्रोल रूम 24 घंटे के लिए संचालित किया जाता है।मौके पर एसडीएम श्वेता भारती, डीभीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा, यूनिसेफ़ के जिला प्रतिनिधि धर्मेंद्र कुमार व अन्य विभागों के अधिकारी व प्रतिनिधि उपस्थित थें।

(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार

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