West Bengal

मानसून से पहले ही डेंगू का कहर, राज्यभर में बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य भवन सतर्क

डेंगू का खतरा

कोलकाता, 23 मई (Udaipur Kiran) । राज्य में मानसून भले ही अभी पूरी तरह न पहुंचा हो, लेकिन कई जिलों में हो रही बेमौसम बारिश और बढ़ती नमी के बीच डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि दर्ज की जा रही है। हालात को देखते हुए पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य भवन ने पूरे राज्य में सतर्कता बढ़ा दी है और सभी जिलों के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को विशेष निर्देश जारी किए हैं।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, एक जनवरी से 15 मई 2025 के बीच राज्य में कुल 1,020 डेंगू संक्रमण के मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे अधिक 154 मामले हावड़ा जिले में पाए गए हैं। इसके बाद उत्तर 24 परगना (140), हुगली (120), मुर्शिदाबाद (113) और कोलकाता (82) मामलों के साथ सूची में शामिल हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, डेंगू का प्रकोप आमतौर पर जुलाई के मध्य से शुरू होकर नवंबर तक रहता है, लेकिन बदलते मौसम और लगातार हो रही बेमौसम बारिश के चलते इस बार संक्रमण का खतरा पहले ही सिर उठा चुका है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य भवन ने निर्देश दिया है कि सभी जिलों में डेंगू से निपटने के लिए माइक्रो-प्लान तैयार किया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कहां-कहां जलजमाव हो रहा है, इसकी सटीक पहचान हो। आवश्यकता पड़ने पर ड्रोन की मदद से निरीक्षण करने और राज्य व केंद्रीय कार्यालयों, बंद घरों और खाली जमीनों पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि यही स्थान मच्छरों के पनपने के मुख्य केंद्र होते हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि डेंगू के 80 प्रतिशत मामले ऐसे घरों से सामने आए हैं, जहां फ्रिज की ट्रे, छतों पर रखे गमले या अन्य जगहों पर पानी जमा मिला। इसी कारण लोगों से पूरे वर्ष सतर्क रहने और नियमित सफाई बनाए रखने की अपील की गई है।

राज्य के सभी अस्पतालों को डेंगू के संभावित मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सीय ढांचे को तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए हैं। स्वास्थ्य भवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब से लेकर नवंबर तक डेंगू से संबंधित जनजागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

डेंगू नियंत्रण को लेकर प्रसिद्ध कीट विज्ञानी गौतम चंद्र ने कहा, अधिकांश लोग यह मानते हैं कि डेंगू केवल बरसात के मौसम में होता है, लेकिन वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के चलते पूरे साल इसके मच्छर पनप रहे हैं। उनका मानना है कि जब तक 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान नहीं गिरता, मच्छरों की संख्या में कमी नहीं आती।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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