Uttar Pradesh

हर्षा रिछारिया ने किए बांकेबिहारी के दर्शन, वृन्दावन से सम्भल तक करेंगी सनातनी युवा पदयात्रा

ठाकुरजी के दर्शन करती हर्षा रिहारिया

मथुरा, 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । प्रयागराज महाकुंभ में मीडिया की सुर्खियों में रहीं हर्षा रिछारिया गुरुवार कान्हा की नगरी वृन्दावन पहुंची, यहां उन्होंने बांके बिहारी मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात, उन्होंने अटल्ला चुंगी चौराहा स्थित राम मंदिर का भी दौरा किया। हर्षा रिछारिया ने अपनी आगामी ‘सनातनी युवा जोड़ो पदयात्रा’ की घोषणा करते हुए कहा यह पदयात्रा आगामी 14 अप्रैल से शुरू होगी और इसकी शुरुआत भगवान श्रीहरि के आठवें अवतार की नगरी वृन्दावन से होगी।

गुरुवार हर्षा ने पत्रकारों को बताया कि यह सात दिवसीय पदयात्रा 21 अप्रैल को भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि धाम, सम्भल में संपन्न होगी। इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य वर्तमान युवा पीढ़ी को सनातन धर्म और संस्कृति से जोड़ना है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी न केवल धर्म से दूर हो रही है, बल्कि अपने माता-पिता से भी विमुख हो रही है. उन्होंने वृद्ध और विधवा आश्रमों की बढ़ती संख्या को इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बताया। हर्षा रिछारिया एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, उन्होंने कहा है कि वह आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या हैं। हर्षा रिछारिया की इंस्टाग्राम बायो उन्हें एक एंकर, सामाजिक कार्यकर्ता और इन्फ्लुएंसर बताता है। उन्हें निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज का शिष्य बताया गया है। जनवरी 2025 में महाकुंभ के दौरान हर्षा रिछारिया को उनकी सुंदरता और पारंपरिक वेशभूषा के कारण “ब्यूटीफुल साध्वी” और “वायरल साध्वी” जैसे नामों से सोशल मीडिया पर खूब चर्चा मिली। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह साध्वी नहीं हैं और उन्होंने कभी ऐसा दावा नहीं किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने केवल मंत्र दीक्षा ली है और वह एक सामान्य व्यक्ति हैं जो एक आध्यात्मिक यात्रा पर हैं। इससे पूर्व, हर्षा रिछारिया ने वृन्दावन के एक आश्रम परिसर में संत, महंत और धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्थापित शिवलिंग का महाभिषेक किया और भगवान शिव की आराधना की। इस अवसर पर उन्होंने सनातन धर्म के महत्व और युवाओं को इससे जुड़ने की आवश्यकता पर भी अपने विचार व्यक्त किए। हर्षा रिछारिया की यह पदयात्रा युवाओं को सनातन धर्म के मूल्यों और परंपराओं के प्रति जागरूक करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। उनकी पहल को संत समाज और धर्माचार्यों का भी समर्थन मिल रहा है, जिससे इस पदयात्रा की सफलता की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

(Udaipur Kiran) / महेश कुमार

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