हमीरपुर, 02 नवंबर (Udaipur Kiran) । रासायनिक खाद और अत्यधिक जहरीले कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से न केवल हमारी मिट्टी, पानी, और हवा में जहर घुल रहा है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। कैंसर और कई अन्य घातक बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं और साथ ही कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित हो रही है। इन समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है।
प्रदेश सरकार के प्रयासों के तहत किसानों को न केवल अनुदान प्रदान किया जा रहा है बल्कि प्राकृतिक खेती से उपजाई गई फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है। यह कीमतें रासायनिक खेती से उत्पन्न फसलों की तुलना में अधिक हैं, जिससे किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरणा मिल रही है।
जिला हमीरपुर की ग्राम पंचायत बफड़ीं के गांव हरनेड़ के सभी 62 किसान परिवारों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने का निर्णय लिया है।
कृषि विभाग की आतमा परियोजना के निदेशक डॉ. नितिन कुमार शर्मा के अनुसार शुरुआत में गांव के 26 किसानों को दो-दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया और इसके बाद उन्हें कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया। किसानों को देसी नस्ल की गाय खरीदने के लिए सब्सिडी भी प्रदान की गई, ताकि वे प्राकृतिक खेती के उत्पाद जैसे जीवामृत और बीजामृत स्वयं तैयार कर सकें।
हरनेड़ के किसान अब मक्की, कोदरा, कुल्थ, माश, रौंगी, तिल, अदरक, हल्दी, और कई पारंपरिक फसलें उगाकर पोषक और जैविक अनाज का संरक्षण कर रहे हैं। इन फसलों को बाजार में बेहतर मूल्य मिल रहा है। जैसे कि खरीफ सीजन में मक्की की कीमत 30 रुपये प्रति किलो रही जो पहले सामान्यतः 18-20 रुपये प्रति किलो ही मिलती थी।
इस प्रकार हमीरपुर का हरनेड़ गांव अब एक आदर्श गांव के रूप में उभर रहा है, और प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से यह मॉडल अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गया है।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला