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हरजिंदर सिंह धामी चौथी बार बने एसजीपीसी के अध्यक्ष

एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंद्र सिंह धामी

अकालियों के बागी गुट की बीबी जागीर को मिले महज 33 वोट

अकाली दल की फूट का एसजीपीसी चुनाव पर नहीं हुआ कोई असर

चंडीगढ़, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के वार्षिक चुनाव में बादल समर्थक एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को चौथी बार एसजीपीसी का अध्यक्ष चुना गया है। इस चुनाव में हरजिंदर सिंह धामी को 107 वाेट मिले और उनकी प्रतिद्वंदी व बादल गुट समथर्क एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर को महज 33 वोट मिले।

साेमवार काे शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के वार्षिक चुनाव में प्रधान पद के चुनाव के लिए दरबार साहिब स्थित तेजा सिंह समुंद्री हॉल में वोटिंग हुई। इसके बाद नतीजे घाेषित किए गए। इस चुनाव में एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर के पक्ष में केवल 33 वोट मिले हैं। चुनाव से पहले बीबी जागीर कौर एसजीपीसी सदस्यों से पांच तख्तों के जत्थेदारों जैसे सिख संस्थानों और नेताओं के स्वतंत्र अधिकार को बहाल करने और बाहरी राजनीतिक प्रभाव को रोकने के लिए सुधारों का वादा कर रही थीं। इस चुनाव में 107 वाेट पाने वाले बादल समर्थक एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को विजयी घाेषित किया गया। धामी चाैथी बार

एसजीपीसी के अध्यक्ष चुने गए हैं। एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी अपनी पिछली उपलब्धियों के आधार पर फिर वोट की मांग कर रहे थे। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में गोल्डन टेंपल में केंद्रीय सिख संग्रहालय में सिख शहीदों के चित्रों को जोडऩे जैसी पहल की थी।

इस चुनाव में रघुजीत सिंह विर्क को एसजीपीसी का सीनियर मीत प्रधान नियुक्त किया गया है और शेर सिंह मंड को जनरल सेक्रेटरी बनाया गया है। साथ ही 11 एग्जीक्यूटिव सदस्य भी बना दिए गए हैं, जिनमें बीबी हरजिंदर कौर, अमरीक सिंह, सुरजीत सिंह, परमजीत सिंह खालसा, सरदार सुरजीत सिंह गड़ी, बलदेव सिंह कैमपुर, दलजीत सिंह भिंडर, सुखप्रीत सिंह रोडे, रविंदर सिंह खालसा, जसवंत सिंह और परमजीत सिंह रायपुर शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि पहले एसजीपीसी में सदस्यों की संख्या 185 थी। जिनमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ सहित विभिन्न क्षेत्रों से चुने जाते हैं। इनमें 31 सदस्यों का निधन हो चुका है और छह सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं। सोमवार को हुए चुनाव में कुल 148 सदस्यों ने मतदान किया था। आज का चुनाव इसलिए अहम माना जा रहा था कि वर्ष 1990 से एसजीपीसी पर बादल परिवार का प्रभाव रहा है। इस बार सुखबीर बादल अकाली दल के प्रधान नहीं हैं। बागी गुट सुखबीर के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इसके बावजूद बादल गुट के धामी ने बड़ी जीत दर्ज की है। इस बार माना जा रहा था कि अकाली दल में फूट का असर इस चुनाव पर असर पड़ेगा। ऐसा नहीं हुआ। बागी गुट की बीबी जागीर कौर पर वर्ष 2022 से भी कम वोट मिले। ऐसे में अकाली दल को उभरने का एक और मौका मिला है।

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(Udaipur Kiran) शर्मा

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