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ज्ञानवापी के मूल वाद प्राचीन लॉर्ड आदिविश्वेश्वर मामले में पक्षकार बनने की याचिका खारिज

फोटो प्रतीक

वाराणसी,17 जनवरी (Udaipur Kiran) । ज्ञानवापी के 33 साल पुराने स्वयंभू लॉर्ड आदिविश्वेश्वर मामले में पक्षकार बनने की याचिका सिविल जज सीनियर डिवीजन युगल शंभु (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत ने खारिज कर दिया। शुक्रवार को अदालत का आदेश आते ही मुकदमा के पहले वादी रहे स्वर्गीय सोमनाथ व्यास के भतीजे योगेंद्र नाथ व्यास और उनके परिजन को झटका लगा। 1991 के प्राचीन स्वयंभू लॉर्ड आदिविश्वेश्वर मामले में योगेंद्र नाथ व्यास ने पक्षकार बनने की अर्जी दी थी। अर्जी का विरोध वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने किया। वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी का तर्क रहा कि योगेंद्रनाथ व्यास ने व्यास गद्दी के व्यक्तिगत अधिकार को लेकर दावा किया है। आम हिंदू, जनता और काशी विश्वनाथ के हित को नहीं दर्शाया है। यह मुकदमा व्यास गद्दी का नहीं है। इसलिए उनके मुकदमे में योगेंद्रनाथ व्यास का पक्षकार बनने का अधिकार नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद ठोस साक्ष्य के अभाव में अर्जी को खारिज कर दिया।

योगेन्द्र व्यास के अधिवक्ता ने बताया कि अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाने पर विचार करेंगे। इसके पहले सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक अदालत ने हरिहर पांडेय के निधन के बाद उनके बेटों को पक्षकार बनाने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद उत्तराधिकारी नहीं बनाए जाने का आदेश दिया था। इस मामले में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। अदालत में बहस पूरी होने के बाद न्यायाधीश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था ।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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