Madhya Pradesh

ग्वालियरः तानसेन समाधि पर पारंपरिक रूप से शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी हुई

तानसेन समाधि पर पारंपरिक रूप से शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी
तानसेन समाधि पर पारंपरिक रूप से शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी

ग्वालियर, 15 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित तानसेन संगीत समारोह का रविवार को भव्य आगाज हुआ। समारोह का यह 100वाँ वर्ष है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव तानसेन समारोह” के तहत रविवार को पारंपरिक ढंग से हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ।

तानसेन समाधि स्थल पर रविवार को प्रातःकाल बेला में परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खाँ एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया। उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से कामिल हज़रत जी ने मीलाद का गायन किया। इसके बाद कब्बाली के साथ चादरपोशी की गई।

(Udaipur Kiran) तोमर

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