– ग्वालियर व्यापार मेले में भी सजी हैं विविध प्रकार के लजीज खजले की दुकानें
ग्वालियर, 5 जनवरी (Udaipur Kiran) । आधुनिकता की दौड़ में भले ही चीनी, थाई व अन्य विदेशी फास्ट फूड युवाओं की पहली पसंद बनते जा रहे हैं, पर खासतौर पर मेलों में बिकने वाले खजला व पापड़ जैसे पारंपरिक व्यंजनों की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। इन व्यंजनों का स्वाद लेने का मजा ही कुछ और है। मेले में सजी-धजी दुकानों पर बैठकर सैलानी बड़े चाव के साथ खजला-पापड़ का लुत्फ उठाते हैं। साथ ही इसकी भीनी-भीनी ताजगी व खुशबू भी महसूस करते हैं। ऐतिहासिक श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला में भी खजले की दुकानें सदैव से आकर्षण का केन्द्र रही हैं। इस बार के मेले में भी विभिन्न प्रकार के लजीज खजले व पापड़ की कई दुकानें सजी हैं।
मेले की छत्री नं. 12 में झूला सेक्टर की तरफ सिरसागंज इटावा से आए यादव परिवार ने अंजलि खजला-पापड़ के नाम से अपनी दुकान लगाई हैं। यादव परिवार लगभग 60 सालों से मेले में अपनी दुकान लगाता आया है। पहले प्रमोद कुमार यादव खजले की दुकान लगाते थे, अब उनके बेटे अजय कुमार व सूरज कुमार यादव ने खजला-पापड़ की बड़ी सी दुकान लगाई है। यादव परिवार के सदस्यों सहित कुल मिलाकर लगभग 50 कर्मचारी खजले व चाट की यह दुकान चला रहे हैं। खजला-पापड़ की किस्में बताते हुए सूरज यादव बोले कि हमारी दुकान पर रबड़ी खजला, मलाई खजला, खोए का खजला व दूध का खजला सहित नमकीन व कम मीठे खजले भी खूब बिकते हैं। इसके अलावा पापड़, छोले भटूरे व आलू चाट भी चटपटी चटनी, दही और खट्टे-मीठे व तीखे मसालों के साथ परोसी जाती है।
सूरज कहते हैं कि ग्वालियर मेले में आने वाले सैलानी दुकान पर बैठकर तो खजला व चाट का आनंद लेते ही हैं। साथ ही अपने स्वजनों व नाते-रिश्तेदारों के लिये भी खजला पैक कराकर ले जाते हैं, क्योंकि खजला आमतौर पर बाजार में उपलब्ध नहीं होता। खजला ज्यादातर मेलों में ही मिलता व बिकता है। सूरज बताते हैं कि ग्वालियर मेले में औसतन 50 से 60 लाख रुपये की बिक्री हमारी दुकान से हो जाती है।
मेलों में ही गुजरती है यादव परिवार की पूरी साल
सूरज यादव बताते हैं कि फास्ट फूड के दौर में भी भारतीय पारंपरिक व्यंजन खजले की प्रासंगिकता प्रभावित नहीं हुई है। देश भर के मेलों में आज भी खजले की मांग रहती है। ग्वालियर मेला ही नहीं अन्य बड़े-बड़े मेलों मसलन औरंगाबाद महाराष्ट्र, देवधर (बैजनाथ धाम) झारखंड व भरतपुर राजस्थान के मेले सहित देश के अन्य मेलों में भी हम खजले की दुकान लगाते हैं। इस दौरान मेरे माता-पिता सहित पूरा परिवार साथ में चलता है। इस प्रकार हमारे परिवार का अधिकांश वक्त मेलों में ही गुजरता है।
(Udaipur Kiran) तोमर