शिलांग, 22 मई (Udaipur Kiran) । असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को गुवाहाटी में बार-बार हो रहे जलभराव की समस्या के लिए मेघालय की पहाड़ियों में हो रही कटाई को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर असम सरकार ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी से जांच की मांग की है।
हालांकि, मुख्यमंत्री सरमा के इन आरोपों पर मेघालय सरकार ने आज पलटवार किया। मेघालय के आपदा प्रबंधन मंत्री किर्मेन शिल्ला ने कहा कि गुवाहाटी में आने वाली बाढ़ की असली वजह खुद शहर की कमजोर ड्रेनेज प्रणाली है। उन्होंने कहा, “जब तक असम अपनी शहरी जल निकासी व्यवस्था को मजबूत नहीं करता, तब तक मेघालय पर दोष मढ़ना समस्या का हल नहीं है।
शिल्ला ने साफ किया कि मेघालय में चल रहे निर्माण कार्य और वनों की कटाई को बाढ़ की मुख्य वजह बताना तथ्यों से परे है। उन्होंने कहा, हमारे पास असम की ओर से कोई आधिकारिक पत्र नहीं आया है, जिसमें हमें जिम्मेदार ठहराया गया हो। यदि कोई दोषारोपण करना चाहता है, तो पहले एक उचित सर्वेक्षण कराए।
कहा कि मेघालय में सबसे अधिक वर्षा होती है और पानी का नीचे बहना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, “अगर पानी हमारे राज्य से बहती है तो वह प्रकृति की देन है, न कि किसी की गलती।” हम सबूत आधारित चर्चा के लिए तैयार हैं और अगर जिम्मेदारी साबित होती है, तो हम सुधारात्मक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन अनावश्यक बयानबाजी से बचना चाहिए।
इसके पूर्व मुख्यमंत्री सरमा ने चेतावनी दी थी कि यदि मेघालय में पहाड़ियों की कटाई ऐसे ही जारी रही, तो गुवाहाटी “समुद्र” बन जाएगा। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेघालय (यूएसटीएम) के पास नए निर्माण कार्यों का जिक्र करते हुए इन्हें ‘बाढ़ जिहाद’ की संज्ञा दी थी, जिस पर पहले भी विवाद हो चुका है। सीएम ने यह भी पुष्टि की कि उनकी सरकार ने प्रभावित इलाकों का निरीक्षण कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की समिति से औपचारिक अनुरोध किया है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
