-अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन के दूसरे दिन पहुंचे केंद्रीय शिक्षा मंत्री
गुरुग्राम, 16 नवंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत को उत्पादक देश बनाना है इसके लिए युवाओं को तपस्या पर फोकस रखना होगा। उन्होंने कहा कियुवा रिसर्चरों के सामने देश को उंचाई तक ले जाने की चुनौति है। हमें देश को विश्व गुरू के साथ-साथ विश्व बंधु की भूमिका निभानी है। भारत में 60 से 70 करोड़ की आबादी युवा है। युवाओं के हाथ में काम देना, देश की आवश्यकताओं के साथ-साथ विश्व की जरूरतों को भी पूरा करना लक्ष्य होना चाहिए।
धर्मेंद्र प्रधान शनिवार को गुरुग्राम स्थित एसजीटी यूनीवर्सिटी में आयोजित अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन के दूसरे दिन अपना संबोधन दे रहे थे। विजन फॉर विकसित भारत के विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश की नीति और योजनाएं लोगों की आकांक्षओं के अनुरूप बनी है। विकसित भारत के लिए युवाओं को सामूहिक प्रयास करना होगा। 21वीं सदी के भारत को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को सार्थक करने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है। धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि युवा सदैव इनोवेटिव और क्रिएटिव होते हैं। उपनिषद में भी लिखा है कि यूथ अवर क्रिएटिव। उन्होंने कहा विकसित भारत सिर्फ भविष्य में नई उंचाई तक ले जाने वाला विषय है। अमृतकाल 2047-2050 कालखंड को सामने देखते हुए विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करना है। सदियों से वेद, उपनिषेदों का अध्ययन करते हैं तो अनेक सभ्यता सामने आई और विलुप्त हो गई, लेकिन जिनकी जड़ें गहरी थी, वो ही टिक पाई। उन्होंने कहा कि हमारी विरासत गहरी है हमारी जड़ें मजबूत है। 500 साल के इतिहास की समीखा करेंगे तो देखेंगे कि कभी ब्रिटेन के भाग्य में सूर्य अस्त नहीं था, लेकिन आज उसका पतन हो गया।
धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि कोविड के समय में विकसित देशों की स्वास्थ्य, आर्थिक प्रबंधन की स्टडी करेंगे तो वह यही याद दिलाएगी कि भौतिक उपलब्धि देश समाज और सभ्यता के लिए कर्जदायी है। हम मूल्य आधारित हैं। हमारी पद्धति बहुस्तरीय, मल्टीलेयर, सर्वव्यापी और सर्व स्पर्शी है इसलिए हम कोरानाकाल में टिक पाए। धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि हमारी अर्थनीति का साइज बढ़ा है। वर्ष 2014 में स्टार्टअप सेंकड़ों में थे। अब हमारा सचेतन समाज, वाईब्रेट सोसायटी, अपनी रणनीति बनाने से चूक करेगा तो हम पीछे रह जाएंगे। हमें मैनेजर, सीईओ नहीं बल्कि मालिक बनना है। उन्होंने कहा कि भारत अगर सस्ती दवाईयां नहीं बनाएगा तो विश्व में महामारी फैल जाएगी। भारत अगर आईटी प्रोफेशनल, मेडिसन प्रोफेशनल तैयार नहीं करेगा तो इकोनामिक सिस्टम पर सवालिया निशान लगेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए एक हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। हम राकेट साइंस में आत्मनिर्भर हैं। हमारे नेतृत्व ने वैज्ञानिकों को दायित्व दिया तो हम चंद्रायान बना पाए। 25 सालों से हम कंज्यूमर कंट्री है हालांकि कुछ क्षेत्रों में उत्पादक भी हैं। 21वीं सदी में भारत के नागरिकों की जो आवश्यता हैं उन पर शोध जरूरी है।
शोधार्थियों का आह्वान करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश की आवश्यकता के रिसर्च करें। रिसर्च केवल साईंस, तकनीक, इंजीनियरिंग तक ही सीमित ना रहे उसमें संवेदना भी होनी चाहिए। आज पर्यावरण सबसे बड़ी चुनौती है। हमने जल, वायु को सम्मान दिया। मिट्टी को मां माना, लेकिन दुनिया ने हमें दकियानुसी कहा। दुनिया ने भौतिकता को माना, लेकिन हमने पंचतत्व पर विश्वास किया। उन्होंने कहा कि सभी युवा देश को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में संकल्प के साथ तपस्या कर नई आयाम तक पहुंचाएं।
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(Udaipur Kiran) हरियाणा