Haryana

गुरुग्राम: अदालत ने बिजली निगम की याचिका को किया खारिज 

गुरुग्राम, 28 नवंबर (Udaipur Kiran) । बिजली निगम के सेवानिवृत एक्सईएन डीएस हुड्डा के पक्ष में जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को चुनौैती देने वाली बिजली निगम की याचिका को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि पीडि़त के पक्ष में जो फैसला दिया गया है, उसके तहत उनसे रिकवर की गई राशि का भुगतान ब्याज दर से किया जाए। अब बिजली निगम को करीब 4 लाख की धनराशि पीडि़त को देनी पड़ेगी। पीडि़त के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएस हुड्डा जब गुरुग्राम के तत्कालीन एसडीओ थे, तब उन्हें 5 अप्रैल 2006 को बिजली निगम ने एक चार्जशीट जारी करते हुए आरोप लगाए थे कि एक बिजली उपभोक्ता की तरफ 2 लाख 5 हजार 60 रुपए बकाया थेे। उसके बाद भी उसका काटा गया बिजली का कनेक्शन जोड़ दिया था। जिस पर बिजली निगम ने उनके खिलाफ कार्यवाही करतेे हुए उनसे एक लाख 30 हजार 303 रुपए और 2 इंन्क्रीमेंट रोकने के आदेश दिए थेे। हुड्डा ने उक्त धनराशि जमा कर 25 अगस्त 2011 को बिजली निगम के आदेश को गुडग़ांव जिला अदालत मेें चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। तत्कालीन सिविल जज संजीव काजला की अदालत ने उनकी याचिका को 15 मार्च 2014 को खारिज कर दिया था।

हुड्डा ने निचली अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती देेते हुए याचिका दायर की थी। तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके खंडूजा की अदालत ने 20 नवम्बर 2014 को निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए आदेश दिए थे कि हुड्डा द्वारा जमा कराई गई एक लाख 30 हजार 303 रुपए की धनराशि व रोके गए 2 इंक्रीमेंट का 18 जनवरी 2008 से 9 प्रतिशत ब्याज दर से भुगतान किया जाए। लेेकिन बिजली निगम ने सत्र न्यायालय के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौैती देे डाली थी। जिस पर उच्च न्यायालय नेे पीडि़त के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिजली निगम की याचिका को खारिज कर दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि अब पीडि़त को बिजली निगम द्वारा करीब 4 लाख रुपए की धनराशि देेनी पड़ेगी। याचिका का खर्चा आदि भी दिया जाए।

(Udaipur Kiran) हरियाणा

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