Jammu & Kashmir

गुरू महाराज स्वामी राम स्वरूप योगाचार्य जी ने वेदों के महत्व पर प्रवचन दिए, एलजी मनोज सिन्हा रविवार को प्रवचन सुनने पहुंच रहे कठुआ

Swami Ram Swaroop Yogacharya ji gave sermon on the importance of Vedas

कठुआ 30 नवंबर (Udaipur Kiran) । विधायक जसरोटा राजीव जसरोटिया के आवास पर तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विधायक के गुरू महाराज स्वामी राम स्वरूप योगाचार्य जी ने वेदों के महत्व पर प्रवचन दिया।

कार्यक्रम में कठुआ और जसरोटा के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कल यानी रविवार को जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा भी स्वामी राम स्वरूप योगाचार्य जी के प्रवचन सुनने आ रहे हैं। जिसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। कार्यक्रम के दूसरे दिन स्वामी जी ने भजन गाए और उपस्थित लोगों को दैनिक जीवन में वेदों के महत्व से अवगत कराया। वेदों पर प्रवचन देते हुए स्वामी जी ने कहा कि वेद भारत के महान प्राचीन ऋषियों को ईश्वर द्वारा प्रकट किये गये शाश्वत सत्य हैं। वेद शाश्वत हैं। वे आदि और अंत से रहित हैं। कोई अज्ञानी व्यक्ति कह सकता है कि कोई पुस्तक बिना आदि या अंत के कैसे हो सकती है। वेदों से तात्पर्य किसी पुस्तक से नहीं है। वेद भगवान की श्वास से निकले। वे भगवान के शब्द हैं। वेद व्यक्तियों की वाणी नहीं हैं। वे किसी मानव मन की रचना नहीं हैं, वे कभी लिखे नहीं गये, कभी बनाये नहीं गये। वे शाश्वत और निर्विशेष हैं। वेदों की तिथि कभी निश्चित नहीं की गयी। इसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता, वेद शाश्वत आध्यात्मिक सत्य हैं। वेद ईश्वरीय ज्ञान का स्वरूप हैं। किताबें नष्ट हो सकती हैं, लेकिन ज्ञान नष्ट नहीं हो सकता। ज्ञान शाश्वत है। इस अर्थ में, वेद शाश्वत हैं।

गौरतलब हो कि स्वामी राम स्वरूप जी भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में योल कैंप में स्थित वेद मंदिर के योगाचार्य और संस्थापक अध्यक्ष हैं। उन्होंने अपना जीवन मानवता तक वेदों और ईश्वर का संदेश फैलाने के लिए समर्पित कर दिया है। स्वामीजी का जन्म 6 जून 1940 को हुआ था और उनका मूल स्थान हरियाणा में रोहतक था। उन्होंने एफएससी पूरी की और उसके बाद सिटी एंड गिल्ड्स (यूके) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। वह सैन्य इंजीनियरिंग सेवाओं में शामिल हुए और 26 वर्षों तक रक्षा सेवाओं में रहे। बचपन से ही उनका रूझान आध्यात्म की ओर था। उन्होंने बचपन से ही पूजा-पाठ और ध्यान का अभ्यास किया और सेवा के दौरान भी इसे जारी रखा। वह 31 मार्च 1986 को सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से गायन और वाद्य संगीत (बी ए) में स्नातक भी किया। वह तबला, हारमोनियम और बैंजो के बेहतरीन वादकों में से एक हैं। वह अक्सर वेदों और अन्य संतों द्वारा रचित आध्यात्मिक गीत गाते हैं। उपदेशों के अलावा भजनों से युक्त कई कैसेट और सीडी उपलब्ध हैं। संत वाणी भजन श्रृंखला 8 खंडों में जारी की गई है। वेदों की चाव कथा 1 और 2, भक्ति रस, भज गोविंदम आदि बेहद लोकप्रिय रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया

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