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– हस्तकला क्षेत्र में गुजरात का यह 23वां जीआई टैग, अब तक गुजरात को मिले जीआई टैग की संख्या 27 हुई
अहमदाबाद, 29 नवंबर (Udaipur Kiran) । केन्द्र सरकार ने गुजरात की एक और सांस्कृतिक हस्तकला विरासत ‘घरचोळा’ (विवाह के अवसर पर कन्या द्वारा पहनी जाने वाली बंधेज प्रकार की रेशमी चुनर या साड़ी) को जीआई टैग प्रदान किया है। इसके साथ ही गुजरात को मिले कुल जीआई टैग की संख्या 27 पर पहुंच गई है। वहीं हस्तकला क्षेत्र में यह 23वां जीआई टैग मिला है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गरवी गुर्जरी की यह एक और सफलता है।
हाल ही में भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के हस्तकला विकास आयुक्त द्वारा नई दिल्ली में आयोजित ‘जीआई एंड बियॉण्ड-विरासत से विकास तक’ कार्यक्रम के दौरान गुजरात के गौरव समान ‘घरचोळा’ हस्तकला को प्रतिष्ठित जीआई टैग प्रदान किया गया है। गुजरात राज्य हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास निगम (जीएसएचएचडीसी) संचालित ‘गरवी गुर्जरी’ के प्रयासों के चलते यह संभव हुआ है। ‘घरचोळा’ के लिए जीआई की मान्यता गुजरात के अपनी कला विरासत को सुरक्षित रखने के समर्पण को प्रतिबिंबित करता है। यह जीआई टैग गुजरात की ‘घरचोळा’ हस्तकला की समृद्ध विरासत एवं जटिल कारीगरी को व्याख्यायित करता है और इससे ‘घरचोळा’ कला के अनन्य सांस्कृतिक खजाने का स्थान विश्व पटल पर मजबूत होगा। गुजरात अपनी विविधतापूर्ण एवं उत्कृष्ट हस्तकला के लिए विख्यात है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में शुरू की गई वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना के कारण जीआई टैग्ड उत्पादों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार हुआ है। मुख्यमंत्री के विजन को आगे बढ़ाते हुए राज्य के कुटीर एवं ग्रामोद्योग आयुक्त कार्यालय द्वारा यह जीआई टैग प्राप्त करने के लिए प्रशंसनीय कार्य किया गया है।
गुजरात के ‘घरचोळा’ हिन्दू एवं जैन समाज में विवाह जैसे मांगलिक प्रसंगों पर पहना जाता है। परंपरागत रूप से ‘घरचोळा’ लाल तथा मरून एवं हरे तथा पीले जैसे रंगों में बनाया जाता है, जिन्हें हिन्दू परंपरा में शुभ रंग माना जाता है। आज गुजरात के बुनकर आधुनिक समय के अनुरूप ‘घरचोळा’ साड़ी की बुनाई में डिजाइन्स तथा तकनीक को अपडेट कर रहे हैं। वे अधिक आकर्षक साड़ियां बनाने के लिए कौशल विकसित कर रहे हैं, जिसके कारण बाजार में ‘घरचोळा’ साड़ियों की मांग में भी बहुत सुधार हुआ है। जीएसएचएचडीसी संचालित गरवी गुर्जरी बिक्री केन्द्रों में ‘घरचोळा’ साड़ियों की बड़े पैमाने पर बिक्री हो रही है। जीआई टैग केवल हस्तकला की प्रामाणिकता एवं विशिष्टता को ही रेखांकित नहीं करता, अपितु विश्व स्तर पर उसका प्रचार करने के लिए एक मूल्यवान मार्केटिंग संसाधन भी प्रदान करता है। जीआई टैग उपभोक्ताओं को संबंधित प्रोडक्ट की वास्तविकता (असलियत) का आश्वासन देता है और उन्हें विश्वास दिलाता है कि वे असली तथा जिला-विशिष्ट हस्तकला खरीद रहे हैं। जीआई टैग स्थानीय कारीगरों की कुशलता तथा परंपराओं को साकार भी करता है।
‘घरचोळा’ साड़ी के अलावा ‘हस्तकला सेतु’ योजना अंतर्गत गत वर्ष सूरत की लुप्त हो रही कला ‘साडेली’, बनासकांठा की ‘सूफ’ एम्ब्रॉइडरी तथा अहमदाबाद की ‘सौदागिरी प्रिंट’ एवं ‘मातानी पछेड़ी’ हस्तकला को भी जीआई टैग्स दिए गए हैं। हस्तकलाओं की यह सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने में कुटीर एवं ग्रामोद्योग आयुक्त कार्यालय के निरंतर प्रयास महत्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा इन जीआई टैग्ड उत्पादों को जी-20 एवं वाइब्रेंट गुजरात जैसी अंतरराष्ट्रीय इवेंट में पधारे महानुभावों को भेंट-सौगात के रूप में प्रदान कर उन्हें वैश्विक पहचान दी गई है। जीआई टैग प्राप्त करने के अलावा गरवी गुर्जरी जीआई प्रमाणित उत्पादों को अधिकतम मार्केट एक्सपोजर प्रदान करने के भी लगातार प्रयास कर रहा है। निगम का उद्देश्य बाजार के अवसरों का विस्तार कर कारीगरों के आर्थिक अवसर बढ़ाना तथा समकालीन जीवन शैली में गुजरात की परंपरागत हस्तकला के व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित करना है।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय
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