– रंग-बिरंगी संस्कृति और जीवंत परंपराओं का शानदार उदाहरण है तरणेतर का मेला
गांधीनगर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । मेले भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा हैं, जो हमारी परंपराओं, खान-पान, रहन-सहन और विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले की चोटीला तहसील के तरणेतर गांव में आयोजित होने वाला तरणेतर का मेला गुजरात की जीवंत संस्कृति और परंपराओं का एक शानदार उदाहरण है।
इतिहास के झरोखे से
लोककथाओं के अनुसार द्रौपदी स्वयंवर के समय तरणेतर स्थित त्रिनेत्रेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में अर्जुन ने जल कुंड में मछली के प्रतिबिंब को देखकर उसकी आंख भेदी थी और द्रौपदी से विवाह किया था, इसलिए इस भूमि को पांचाल भूमि के रूप में जाना जाता है। इस जल कुंड में डुबकी लगाने का धार्मिक महात्म्य भी है। मान्यतानुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को यहां गंगा मैय्या का अवतरण होता है। किंवदंती के अनुसार तरणेतर मेला प्राचीन काल से यहां आयोजित होता चला आ रहा है।
रंग-बिरंगी संस्कृति का अद्भुत नजारा
तरणेतर मेले में सौराष्ट्र की विभिन्न जातियां, जैसे कि भरवाड़, आहिर, रबारी और काठी के अलावा स्थानीय लोग अपनी परंपरागत पोशाक में भाग लेते हैं। चटख रंगों और कशीदाकारी से सजी हुई वेशभूषा में सजे युवाओं का उत्साह सातवें आसमान पर होता है। युवक रंग-बिरंगी और कढ़ाई की हुई आकर्षक छतरियों को लेकर मेले में घूमते नजर आते हैं। वहीं, युवतियां रंग-रंगीले और घेरदार चणिया (घाघरा) को लहराते दिखाई पड़ती हैं। गरबा और डांडिया रास जैसे पारंपरिक नृत्यों में थिरकती युवतियों को देख लोग मंत्रमुग्ध जाते हैं, जबकि युवक आकर्षक छतरी नृत्य के जरिए माहौल में जोश भरते हैं।
उत्तम नस्ल के पशुओं का मेला
गुजरात सरकार के पशुपालन विभाग के मार्गदर्शन में सुरेन्द्रनगर जिला पंचायत की ओर से तरणेतर में पशु प्रदर्शनी और प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें गिर और कांकरेज नस्ल की गाय, जाफराबादी और बन्नी नस्ल की भैंस आदि का प्रदर्शन और उत्तम नस्ल के पशुओं के लिए प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है। विजेता पशु को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इस पशु मेले के आयोजन का उद्देश्य अच्छी नस्ल के पशुओं के पालन को बढ़ावा देना है।
ग्रामीण ओलंपिक और पारंपरिक प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन
राज्य सरकार द्वारा गुजरात में खेल प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें निखारने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में, तरणेतर मेले में ग्रामीण युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को प्रोत्साहन देने के लिए ग्रामीण ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न आयु वर्ग के स्कूली बच्चों के लिए 100 मीटर, 200 मीटर, 800 मीटर की दौड़, लंबी कूद, रस्सी कूद और लंगड़ी जैसे खेलों का आयोजन किया गया है। वहीं, युवाओं के लिए दौड़ की विभिन्न श्रेणियों के अलावा गोला फेंक, लंबी कूद, 4×100 मीटर रिले दौड़, नारियल फेंक, कुश्ती, वॉलीबॉल, कबड्डी, रस्सा खींच, स्ट्रॉन्गेस्ट मैन, सातोड़ी (नारगोल) और चीनी के लड्डू खाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इन सभी प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता को नकद पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
तरणेतर के मेले में पहली बार ग्रामीण पारंपरिक सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया जा रहा है। लोक कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए 24 विभिन्न पारंपरिक प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाएंगी। जिनमें, वेशभूषा, छतरी सजावट, पारंपरिक कशीदाकारी, लोकगीत, लोकवार्ता, भजन, दुहा-छंद, डाक-डमरु गायन, बांसुरी, भवाई, शहरी और ग्रामीण रास, हुडो रास, लोकनृत्य, शहनाई और एकल नृत्य जैसी श्रेणियां शामिल हैं।
——-
(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय