गांधीनगर, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । गुजरात पुलिस ने साइबर क्राइम के शिकार हुए हजारों मध्यवर्गीय लोगों की मुश्किलों को हल करने का अभिनव प्रयास किया है। साइबर क्राइम की जांच में पीड़ितों के सहयोग के कारण पूर्व में लॉक हुए 28 हजार बैंक खातों को अब अनफ्रीज कराया गया है। बैंक खातों के अनफ्रीज होने से पीड़ितों को बड़ी राहत मिली है।
इस संबंध में राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि गुजरात पुलिस ने साइबर क्राइम की प्रभावी जांच के जरिए 28 हजार बैंक खातों को अनफ्रीज कराया है। यह लोग विश्वासघात की वजह से पेमेंट स्वीकार कर ठगी के शिकार हुए थे या फिर अनजाने में जालसाजी में फंस गए थे। फ्रीज की गई रकम और रिफंड के संबंध में गृह राज्य मंत्री ने बताया कि रिफंड की रकम और होल्ड पर यानी फ्रीज हुई रकम में बड़ा अंतर देखने को मिला है।
सायबर क्राइम की वजह से निर्दोष नागरिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के संदर्भ में जानकारी देते हुए संघवी ने कहा कि हमारी सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप रिफंड राशि और फ्रीज राशि में काफी अंतर है। वर्ष 2024 में रिफंड राशि का प्रतिशत 46.42 है, जो वर्ष 2023 में केवल 17.93 था। वहीं, 30 जून, 2024 तक फ्रीज कुल राशि 114.90 करोड़ रुपए है और वर्ष 2024 के लिए रिफंड राशि 53.34 करोड़ रुपए है। दोनों वर्षों का यह अंतर दर्शाता है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि साइबर क्राइम के पीड़ितों को समय पर राहत मिले।
नई पॉलिसी से मिलेगी राहत
उन्होंने कहा कि पुलिस ने अकाउंट फ्रीज करने संबंधी अपनी पॉलिसी में भी सुधार किया है। नई पॉलिसी प्रभावशाली ढंग से अपराध निवारण एवं निर्दोष पक्षों पर वित्तीय बोझ घटाने के बीच संतुलन बनाए रखने पर आधारित है। अथॉरिटी अब पूरे अकाउंट के स्थान पर केवल धोखाधड़ी से जुड़ी निश्चित राशि ही फ्रीज करेगी। उन्होंने बताया कि इस फेरबदल का उद्देश्य साइबर क्राइम के कारण पीड़ित निर्दोष व्यक्तियों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है, जो पूरा बैंक अकाउंट लॉक हो जाने के कारण बड़ी मुश्किलों का सामना करते हैं।
गृह राज्य मंत्री ने कहा, “साइबर क्राइम के कारण हमारे मध्यम वर्ग के नागरिकों को काफी आर्थिक बोझ का वहन करना पड़ता था और उनका अकाउंट फ्रीज हो जाने के कारण वे अपने ही खाते से अपना पैसा नहीं निकाल पाते थे। लेकिन, अब उनके खाते अनफ्रीज होने के कारण उन्होंने राहत का अनुभव किया है। हमारे ये प्रयास उन सभी नागरिकों के लिए राहत भरे कदम हैं जो दैनिक जीवन में लेन-देन के लिए अधिकांश तौर पर बैंक खातों का उपयोग करते हैं।”
अथॉरिटी ने विनती की है कि जिन्हें भी ऐसा लगता हो कि उनके बैंक खाते भूल से फ्रीज किए गए हैं, वे साइबर क्राइम में अपनी अलिप्तता (लिप्त न होने) के प्रमाणों के साथ आगे आएँ। इन खातों की समीक्षा की जाएगी और इसके बाद जो खाते अनफ्रीज करने योग्य होंगे उन्हें अनफ्रीज कर दिया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय पाश