अमरेली, 18 जनवरी (Udaipur Kiran) । अमरेली जिले में तेंदुओं के बढ़ते आतंक के बीच एक पिता ने अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए लोहे का पिंजरा बनवाया है। खेत मजदूरी करने वाले पिता की इस अनूठी पहल की लोग सराहना भी कर रहे हैं।
दरअसल इस क्षेत्र में अक्सर बच्चों को तेंदुए उठा कर ले जाते हैं, इसलिए खेत मजदूरी करने वालों के मन में हमेशा अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भय बना रहता है। वन विभाग तेंदुओं के आतंक को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र में पिंजरा लगता है, लेकिन इसके विपरीत अब लोग ही अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय ढूढने लगे हैं। राजुला तहसील के झापोदर गांव के खेत क्षेत्र में रहने वाले भरत बारैया ने अपने 6 बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा पिंजरा बनवाया है। 5 बेटी और 1 बेटे की सुरक्षा में पिता का यह उपाय कारगर भी साबित हो रहा है और बच्चे समेत पिता रात में चैन की नींद सो रहे हैं।
भरत बारैया ने बताया कि उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है। अब परिवार में 5 बेटियां और 1 बेटा हैं। सभी छोटे हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी है। रात में अक्सर उसे खेत में पानी लगाने जाना पड़ता है। इसके चलते उसे बच्चों को सोता छोड़कर जाना पड़ता था। तेदुओं के आतंक के चलते उसे अपने बच्चों की जान पर खतरा सताया
करता था। इस चिंता में उसके मन में विचार आया कि वह बच्चों के लिए लोहे की जाली वाला पिंजरा बनवाए और सभी बच्चों को उसमें सुलाकर ताला लगा दे, जिससे उनकी
जान बच जाए और रात और सुबह के समय जब भी तेंदुआ आए ताे बच्चे उसका निवाला न बने। अब तेंदुओं को कुछ नहीं मिलता तो वे श्वानों का शिकार करते हैं और बच्चाें की
जान बच जाती है।
पिंजरा बनाने वाले कारीगर अशोक ने बताया कि कुछ समय पहले श्रमिक ने उससे बात की थी। अशोक ने कहा कि तेंदुओं को पकड़ने के लिए वन विभाग तो पिंजरा बनवाता है, लेकिन इंसान के लिए भला कैसा पिंजरा हो सकता है, इस पर उसने विचार कर पिंजरा बनाया। 2 दिन में उसने लोहे की पाइप का इस्तेमाल कर जाली लगाकर पिंजरा तैयार कर
दिया। अब रात भर बच्चे इसमें चैन की नींद सोते हैं। अमरेली जिले के खांभा, राजुला, जाफराबाद आदि क्षेत्रों में शेरों के साथ ही तेंदुओं का गांवों में आवाजाही आम बात होती है।
उना के गायत्री स्कूल में पहुंची शेरनी
गिर सोमनाथ जिले के उना के गायत्री स्कूल में शुक्रवार तड़के एक शेरनी नजर आई। स्कूल के ग्राउंड में चक्कर काटने के बाद स्कूल भवन की सीढ़ियों पर वह जा पहुंची। इसके बाद वह नीचे उतर कर चली गई। हालांकि जब इसकी जानकारी स्कूल संचालकों को हुई तो उन्होंने विद्यार्थियों को गेट पर ही रोक दिया और अंदर नहीं जाने दिया। स्कूल में छुट्टी भी कर दी गई।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय