– राज्य शिक्षा केन्द्र ने सभी कलेक्टर को जारी किये निर्देश
भोपाल, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत एकीकृत शालाओं की बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिये एकीकृत शाला निधि का समुचित उपयोग किया जायेगा। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र दिशा-निर्देश जारी किये है। वार्षिक अनुदान अब शाला में विद्यार्थियों के नामांकन के आधार पर जारी होगा। एकीकृत शाला निधि का उपयोग शाला प्रबंध समिति एवं विकास समिति के अनुमोदन के बाद किया जा सकेगा। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र ने सभी जिला कलेक्टर को पत्र लिखा है। यह जानकारी सोमवार को जनसंपक अधिकारी मुकेश मोदी ने दी।
उन्होंने बताया कि एकीकृत शाला निधि का उपयोग शालाओं की स्वच्छता, बस्तामुक्त, बालसभा, यूथ एण्ड ईको क्लब के अंतर्गत विज्ञान मित्र एवं स्कूल के आसपास की खोज जैसी गतिविधियों पर मुख्य रूप से किया जायेगा। इसके साथ ही शाला निधि का उपयोग खेलकूद और बालिकाओं के आत्म प्रशिक्षण पर भी मुख्य रूप से खर्च किया जायेगा। निर्देश में कहा गया है कि विद्यालय में ग्रीन बोर्ड छात्राओं के बैठने के लिये समुचित व्यवस्था, शालाओं की बुनियादी सुविधाओं पर आवश्यक खर्च और शालाओं में नियमित सफाई की व्यवस्था पर किया जायेगा। एकीकृत शाला में पढ़ने वाले छात्रों की पाठ्य पुस्तके और कॉपी वर्ष भर विद्यार्थियों के पास सुरक्षित रहें, इसके लिये शिक्षकों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिये गये है। सामग्री क्रय करते समय स्व-सहायता समूह को प्राथमिकता दी जायेगी। प्रदेश में एकीकृत शालाएँ अब कक्षा 1 से 8, कक्षा 6 से 10, कक्षा 6 से 12, कक्षा 1 से 10 और कक्षा 1 से 12 के रूप में निर्धारित की गई है।
शिक्षा सप्ताह पर हो रही है विशेष गतिविधियां
नई शिक्षा नीति-2020 की चौथी वर्षगांठ के मौके पर प्रदेश की शालाओं में 22 जुलाई से शिक्षा सप्ताह की गतिविधियां प्रारंभ हो गई है। यह गतिविधियां 28 जुलाई तक निरंतर जारी रहेंगी। गतिविधियों के तहत कक्षाओं में लघु नाटिका, कहानी सुनाना, जादुई पिटारा से संबंधित गतिविधियां हो रही है। सप्ताह के दूसरे दिन मूलभूत साक्षरता, विद्यार्थियों में पढ़ाई की प्रति रूचि, खिलौना आधारित शिक्षा और फिल्म प्रदर्शन जैसी गतिविधियां होंगी। सप्ताह के तीसरे और चौथे दिन सभी शालाओं में स्वदेशी खेलों की गतिविधियों को विशेष रूप से आयोजित किया जायेगा। बच्चों की प्रतिभा को निखारने के मकसद से सांस्कृतिक विविधता पर केन्द्रित भाषा, वेशभूषा, खान-पान, लोकनृत्य और लोकगीतों की जानकारी दी जायेगी। सप्ताह के पांचवे दिन शाला के नजदीक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराया जायेगा। इसी दिन जैविक खेती, पशुपालन, सहकारी समितियों का भ्रमण, मिट्टी, शिल्प और बाँस जैसी साम्रगियों के महत्व के बारे में छात्रों को बताया जायेगा। सप्ताह के छटवें दिन प्रत्येक शाला में ईको क्ल्ब के गठन के साथ ही प्रत्येक शाला में कम से कम 35 पौधें लगायें जायेंगे। छात्रों को इनके सुरक्षा की शपथ दिलाई जायेगी। सप्ताह के सातवें और अंतिम दिन सामूहिक महत्व के प्रयासों को बताने के लिये जागरूकता रैली का आयोजन मुख्य रूप से किया जायेगा।
राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर प्रत्येक गतिविधि में अधिक से अधिक छात्रों की सहभागिता पर विशेष ध्यान देने के लिये कहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सप्ताह के दौरान शालाओं में मौजूद प्रयोगशालाओं में छात्रों की मौजूदगी के साथ गतिविधि आयोजित करने के लिये कहा है।
(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत तोमर