मंडी, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की गारंटियां धरी की धरी रह गई है। अब प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार की प्राथमिकता कुर्सी कैसे सलामत रहे ही रह गई है। आज मंडी में पत्रकारों से बता करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में वर्तमान में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है। हालात ऐसे हो गए हैं कि जिस तरह से कोर्ट के फैसले आ रहे हैं, सरकार का काम कोर्ट ही कर रहा है।
उन्होंने कहा कि नेतृत्व में परिपक्वता न होना, जल्दबाजी में फैसले करने की वजह से स्थिति बन गई है, प्रदेश की बहुमूल्य संपतियां गिरवी रखने की नौबत आ गई है। उन्होंने कहा कि 13 जनवरी 2023 को चौसठ करोड़ की देनदारी को लेकर फैसला आ गया था। मगर सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके खिलाफ सरकार डब्बल बैंच के पास जा सकती थी। हालांकि, कंपनी ने ब्याज छोड़ देने की बात भी कही थी। मगर अब यह डेढ सौ करोड़ तक पहुंच गया है। इसके अलावा पर्यटन विभग की 54 संपतियों में से 18 होटल बंद करने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इन्हें घाटे के यूनिट बताए गए हैं। जबकि 2023 तक यही यूनिट मुनाफे में चल रहे थे।
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि इस तरह से फायदे में चल रहे यूनिटों को सफेद हाथी करार देकर निजी हाथों में सौंपने की साजिश लगती है। उन्होंने कहा कि दो सालों से कांग्रेस सरकार में बहुत से लोग इसी बात में लगे हुए हैं। कहीं कोर्ट की आड़ में किसी को देने की तैयारी तो नहीं हो रही है।
जयराम ने कहा कि हिमाचल भवन दिल्ली के मामले को लेकर डब्बल बैंच में जाना चाहिए और सरकार वहां अपना पक्ष रखे। उन्होंने कहा कि सरकार ने सतर से ज्यादा एडवोकट्स की फौज खड़ी कर रखी है। इसके बावजूद सरकार हर मामले में हार रही है। उन्होंने कहा कि संरकारी संपतियों को बचाना सरकार की प्राथमिकता नहीं है। सीपीएस की कुर्सी बचाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च कर दिल्ली एडवोकेट लाए गए । उन्होंने कहा कि सीपीएस की कुर्सी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए एक दिन में दो करोड़ रूपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। यह कांग्रेस पार्टी का पैसा नहीं है सरकार का पैसा खर्च किया जा रहा है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा